Computer Network

 कंप्यूटर नेटवर्क क्या है
( What is computer network) 

Computer Network
कंप्यूटर नेटवर्क विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े दो या अधिक स्वतंत्र कंप्यूटरों का समूह है जिसमें नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर सामान नियमों का अनुपालन कर आपस में डाटा व सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा संसाधनों का साझा उपयोग करते हैं कंप्यूटर नेटवर्क का प्रयोग टेस्ट ऑडियो तथा वीडियो डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तथा भेजने के लिए किया जाता है इसमें किसी एक कंप्यूटर का नेटवर्क पर नियंत्रण नहीं होता हैl
 किसी नेटवर्क में संचार को स्थापित करने के लिए चार चीजों   की आवश्यकता पड़ती है—
1-प्रेक्षक (Sender) 
2-माध्यम(Medium) 
3-प्राप्तकर्ता(Receiver
4-भेजने और प्राप्त करने की कार्य विधि(Protocol) 
                  माध्यम
  प्रेषक——~~——>>  प्राप्तकर्ता

 नेटवर्क के लाभ (Benefits of Network)
  • विभिन्न कंप्यूटर द्वारा आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान
  • डाटा सूचना और महंगे उपकरणों का साझा उपयोग
  • सूचना का तेज गति और शुद्धता के साथ आदान-प्रदान
 कम खर्च में डाटा का आदान-प्रदान

 परोटोकॉल (Protocol):
 नेटवर्क पर विभिन्न कंप्यूटरों द्वारा संसार स्थापित करने तथा स्थानांतरण को सुविधाजनक करने के लिए बनाए गए नियमों और प्रक्रियाओं का समूह प्रोटोकॉल कहलाता हैl

 नेटवर्क पर प्रयुक्त कुछ मुख्य प्रोटोकॉल है—
TCP/IP—Transmission Protocol/Internet Protocol
FTP—File Transfer Protocol
HTTPS—Hyper Text Transfer Protocol
SMTP— Simple Mail Transfer Protocol
पहला कंप्यूटर नेटवर्क 1981 ईस्वी में तैयार किया गया जिसे इंटरनेट कहा गया
सर्वर(Server) 
नेटवर्क के किसी एक नोट को संचार व्यवस्था बनाए रखने तथा सादा संसाधनों के उपयोग को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाते हैं जिसे सरवर कहते हैं या नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर को विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है
डाटा प्रेक्षण सेवा(Data Transmission Service)
  •  डायल अप लाइन
  • ISDN  (Intergrated Service Digital Network) 
  • GSM-Global System for Mobile Communication) 
  • DSL(Digital Subscribe Links🔗) 

 कंप्यूटर नेटवर्क का वर्गीकरण
( classification of computer network) 

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1-लोकल एरिया नेटवर्क(LAN- Local area network):—
या निश्चित और छोटे भौगोलिक क्षेत्र लगभग 1 से 10 किलोमीटर में आपस में जुड़े कंप्यूटर का जाल लोकल एरिया नेटवर्क आल आता है यह किसी एक ऑफिस फैक्ट्री या विश्वविद्यालय कैंपस में कुछ किमी क्षेत्र तक ही फैला रहता है लाइन पर उस व्यक्ति या संस्था का पूरा नियंत्रण होता है इसका आकार छोटा डाटा स्थानांतरण के गत्ते तथा त्रुटियां कम होती हैं इधर नेट एक लोकप्रिय लैंड तकनीकी है लेन में कंप्यूटर को जोड़ने के लिए बस टोपोलॉजी तथा कोएक्सियल केबल का प्रयोग किया जाता है इसमें रखरखाव आसान होता है
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2-मेट्रोपोलिटिन एरिया नेटवर्क ( MAN-Metropolitan Area Network) :—
या किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र लगभग 10 किमी त्रिज्या में स्थित कंप्यूटरों का नेटवर्क है इसका उपयोग एक ही शहर में स्थित निजी और सार्वजनिक कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है केबल टेलीविजन नेटवर्क मैन का एक उदाहरण है मेन मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क का प्रयोग सीमित भौगोलिक क्षेत्र में स्थित विभिन्न लोकप्रिय एरिया नेटवर्क लैन को आपस में जोड़ने के लिए भी किया जाता है

3-वाईड् एरिया नेटवर्क (WAN-Wide Area Network) :—
एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र कई देश महाद्वीप या संपूर्ण विश्व में फैले कंप्यूटरों का नेटवर्क है इसमें कंप्यूटरों को सार्वजनिक टेलीफोन प्रकाशीय तंतु या कृतिम संचार उपग्रह द्वारा आपस में जोड़ा जाता है इसमें गति कम रहती है तथा त्रुटियां की संभावना अधिक रहती हैं इसे लाल ऑल नेटवर्क भी कहा जाता है इंटरनेट भी वैन का एक उदाहरण है जो संसार का सबसे बड़ा वन है कंप्यूटर मैनेजमेंट कॉरपोरेशन (CMC) द्वारा विकसित इंडोनेट भारत में (WAN) का उदाहरण है

4- पर्सनल एरिया नेटवर्क( PAN-personal area network) 
किसी व्यक्ति या संस्था के अधिकार क्षेत्र के भीतर कुछ दूरी 10 मीटर से 100 मीटर तथा कंप्यूटर का अपने उपकरण से स्थापित संचार पर्सनल एरिया नेटवर्क आल आता है इसका उपयोग कर कंप्यूटर को इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है यदि इन कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए वायरलेस तकनीकी का प्रयोग किया जाता है तो इसे वायरलेस वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्कनेटवर्क (WPAN) कहा जाता है

5-केंपस एरिया नेटवर्क( campus area network) :— किसी स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी तथा या किसी अन्य बड़े कैंपस के भीतर स्थित कंप्यूटरों का  नेटवर्क केंपस एरिया नेटवर्क(CAN) कहलाता है  इसमें उसी क्षेत्र के भीतर स्थितकई लाइन को भी आपस में जोड़ता है कैंपस एरिया नेटवर्क का दायरा 1 से 5 किलोमीटर तक हो सकता है। 

6-वायरलेस लैन ( wireless LAN) :— वायरलेस तकनीकी का प्रयोग कर बिना तार के एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र में स्थापित कंप्यूटरों का नेटवर्क वायरलेस लाता है इसमें कंप्यूटर या अन्य उपकरणों को तार से  जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती है तथा सीमित क्षेत्र में गतिशील होने की आजादी रहते हैं वाले स्नान के लिए वाईफाई Wifi तकनीकी का प्रयोग  मुख्य रूप से किया जाता हैl
 वायरलेस  लैन को इंटरनेट से जोड़कर गतिमान रहते हुए इंटरनेट का  प्रयोग किया जा सकता है इसके लिए वायरलेस नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का प्रयोग किया जाता है जिसके साथ एंटीना  डाटा स्थानांतरित करता है। 

 ईथर्नेट (Ethernet):—
एयरलाइन लोकल एरिया नेटवर्क में प्रयोग किया जाने वाला लोकप्रिय प्रोटोकाल है इसमें विभिन्न कंप्यूटरों को आपस में तथा नेटवर्क के साथ तार का प्रयोग कर जोड़ा जा सकता है इंटरनेट का विकास बाग मेटकफ द्वारा 1963 ईस्वी में किया गया था। 
 भारत सरकार द्वारा स्थापित कंप्यूटर नेटवर्क(Computer Network by Government of India🇮🇳) 
1* राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र नेटवर्क:— 
यह भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित नेटवर्क है इसे निक नेट भी कहा जाता है 
 निकनेट द्वारा भारत के सभी राज्य मुख्यालयों तथा जिला मुख्यालयों को आपस में जोड़ा गया यह भारत सरकार के लिए नेशनल Backbone का निर्माण करता है 
यह इगवर्नेंस में सहयोग करता है यह भारत सरकार के सभी वेबसाइटों के विकास और प्रबंधन का कार्य करता है
2* राष्ट्रीय ज्ञान संजाल:—
यह नेटवर्क भारत भर के सभी शैक्षणिक तथा ज्ञान आधारित संस्थाओं को उच्च गति क्षमता 1Gbps से अधिक वाले संचार माध्यमों द्वारा आपस में जोड़ता है या भारत के लिए नॉलेज बैकबोन का निर्माण करता है
3* राज्य वाइड एरिया नेटवर्क:—
 इसे स्वान(SWAN) भी कहा जाता है यह भारत सरकार द्वारा स्थापित एक बैकबोन नेटवर्क है जिसमें सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यालय को जिला मुख्यालय होते हुए ब्लाक स्तर तक उच्च गति क्षमता वाले  संचार माध्यमों से जोड़ा गया है इसमें संचार माध्यमों के लिए 2mbps का न्यूनतम बैंडविथ निर्धारित है
4* शैक्षणिक एवं अनुसंधान नेटवर्क:—
इसे पीर नेट भी कहा जाता है या दूर संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्थापित कंप्यूटर नेटवर्क है जो देशभर के प्रमुख शैक्षणिक अनुसंधान संस्थानों को आपस में जोड़ता है इंटरनेट को भारत में सर्वप्रथम सीमित अर्थों में इंटरनेट सेवा प्रदान करने का श्रेय जाता है
> अर्पैनेट (ARPANET)विश्व का पहला वैन है जिसे अमेरिका रक्षा विभाग के लिए विकसित किया गया
>Ethernet -Education and Research Network)  भारत में शिक्षा के लिए स्थापित WANहैं
>NICNET-(National Information Center Network)  भारत के प्रत्येक जिले को जोड़ने वाला नेटवर्क है
>SWIFT- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों को जोड़ने वाला WANहै

 नेटवर्क टोपोलॉजी(Network Topology) 
नेटवर्क टोपोलॉजी नेटवर्क के विभिन्न नोर्डे टर्मिनल को आपस में जोड़ने का तरीका है या नेटवर्क की भौतिक संरचना को बताता है
मुख्य नेटवर्क टोपोलॉजी है —
1-Star
2-Bus
3-Ring
4-Tree
5-Mesh

1-स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) :—
इसमें किसी एक नोट को होस्ट नोट या केंद्रीय हज का दर्जा दिया जाता है अन्य कंप्यूटर या नोट आपस में केंद्रीय हाफ द्वारा ही जुड़े रहते हैं इसमें विभिन्न नोट या टर्मिनल आपस में सीधा संपर्क ना करके होस्ट कंप्यूटर द्वारा संपर्क स्थापित करता है

2-बस टोपोलॉजी (Bus Topology) :—
इसमें एक केवल जिसे ट्रांसमिशन लाइन कहा जाता है कि जरिए सारे नोट जुड़े रहते हैं किसी एक स्टेशन द्वारा संचालित डाटा सभी नोट द्वारा ग्रहण किए जा सकते हैं इस कारण इसे ब्रॉडकास्ट नेटवर्क भी कहते हैं डाटा को पैकेज में भेजा जाता है जिसमें विशेष एड्रेस रहता है कंप्यूटर नोट्स एक एड्रेस को पढ़कर अपने लिए बने डाटा को ग्रहण करते हैं लाइन में मुख्यतः यही प्रोटोकाल प्रयोग की जाती है बस टोपोलॉजी में समानता इथरनेट प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता है

3- रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) :—
सभी नोट एक दूसरे से प्रीमियर लूट में जुड़े होते हैं बस टोपोलॉजी की दो अन्य बिंदुओं को जोड़ देने से रिंग टोपोलॉजी का निर्माण होता पढ़ते ही लोड अपने निकटतम नोट से डाटा प्राप्त करता है अगर वो डाटा उसके लिए है तो वह उसका उपयोग करता है अन्यथा उसे अगले नोट को भेज देता है प्रत्येक नोट के साथ रिपीटर लगा रहता है जो सूचनाओं को पुनः प्रेषित कर सकता है इसे सूचनाओं का संचरण एक ही दिशा में होता है

4- मेश टोपोलॉजी (Mesh Topolology) :—
इस टोपोलॉजी में प्रत्येक नूर डाटा स्थानांतरण करता है तथा डेटा संचार में सहायक होता है इसमें कई हॉस्टियर केंद्रीय कंप्यूटर नहीं होता है मेष नेटवर्क टोपोलॉजी दो पर दो प्रकार का हो सकता है पूर्व में इस टोपोलॉजी तो तानसेन इस टोपोलॉजी पुणे टू फलोदी में प्रत्येक नोट नेटवर्क के सभी नोट से जुड़ा होता है इसे टोपोलॉजी का प्रयोग बैकबोन नेटवर्क के निर्माण में किया जाता है प्रत्येक नोट अपना डाटा भेजने के अलावा दूसरे नोट छपरा तक डाटा भी आगे भेजने में सक्षम होता है एमसी में कम से कम एक नेटवर्क पर प्रत्येक नोट से जुड़ा होता है जबकि आपस में जुड़े हो सकते हैं या नहीं भी हो सकता है

इंटरनेटवर्किंग टूल (Internetworking Tool):—
अलग-अलग प्रोटोकाल तथा टोपोलॉजी का उपयोग कर रहे दो या अधिक कंप्यूटर नेटवर्क को विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जोड़ने तथा उनके बीच डांटा व सूचनाओं का आदान प्रदान संभव बनाने की प्रक्रिया इंटरनेटवर्किंग कहलाता है 
 इंटरनेटवर्किंग  में प्रयुक्त विभिन्न हार्डवेयर उपकरण इंटरनेटवर्किंग टूल कहलाते है ब्रिज, rauter, गेटवे, आदि इंटरनेटवर्किंग टूल के  उदाहरण है

हब (Hub) :—
विभिन्न हार्डवेयर उपकरणों को आपस में जोड़ने के लिए हद का प्रयोग किया जाता है आप द्वारा दो या अधिक नेटवर्क को आपस में जोड़ा जा सकता है ताकि वे डाटा का आदान प्रदान कर सके हब मे कई पोर्ट होते हैं किसी एक पोर्ट पर आने वाला डाटा हब के  प्रत्येक पोर्ट पर उपलब्ध होता है इस प्रकार हब डाटा को  मार्ग प्रदान करता है

स्विच (Switch) :— स्विच एक हार्डवेयर उपकरण है जो विभिन्न कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ता है स्विच किसी भी प्रोटोकॉल का प्रयोग कर रहे डाटा को छांट कर सही मार्ग पर प्रेषित करता है इसके लिए वह नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर के मैक एड्रेेस (MAC-Media Access Control)का करता है


ब्रिज (Bridge):— यह एक हार्डवेयर उपकरण है जो सामान प्रोटोकॉल का उपयोग कर रहे दो लाइन को आपस में जोड़ता है यह प्रत्येक डाटा पैकेज की जांच कर उन्हें उसी लैंड को भेजता है जिसके लिए डाटा बना होता है इस प्रकार ब्रेक नेटवर्क में डाटा ट्रेफिक को नियंत्रित करता है
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नेटवर्क गेटवे (Metwork Getway) :— 
यह अलग-अलग प्रोटोकॉल का प्रयोग कर रहे हैं दो नेटवर्क एयरलाइन को आपस में जोड़ता है नेटवर्क गेटवे का कार्य हार्डवेयर सॉफ्टवेयर या दोनों के समन्वय से किया जाता है इसे प्रोटोकॉल कनवर्टर भी कहा जाता है

रिपीटर(Repitor) :— नेटवर्क में डाटा संकेतों को लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है जिसमें डेटा संकेतों में हाथ से संभव है लंबी दूरी तथा डाटा सेंटर की विश्वसनीयता बनाए रखने तथा ट्रांसमिशन में हुए हादसों से निपटने के लिए उन्हें परिवर्तित करना पड़ता है रिपीटर हार्डवेयर है जो संचार माध्यम से डाटा संकेत लेकर उन्हें परिवर्तित करता है अतः पुनः संचार माध्यम पर भेजता है इस प्रकार पीटर नेटवर्क दो भागों को आपस में जोड़ता है

 राउटर(Router) :—
इंटरनेट पर डाटा संकेतों को पैकेट बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पाया जाता है डाटा पैकेट को सबसे छोटे तथा सबसे तेज मार्ग द्वारा निर्धारित पते तक पहुंचाने का काम राउटर करता है राउटर सॉफ्टवेयर की मदद से नेटवर्क पर भेजे गए डेटा पैकेट अंकित पते की जांच करता है तथा उसे सही दिशा में पड़ता है इसके लिए आउटिंग टेबल का प्रयोग किया जाता है ।

नेटवर्क  Interface कार्ड(NIC) :
नेटवर्क इंटरफेस कार्ड प्रिंटेड सर्किट बोर्ड से  बना हार्डवेयर डिवाइस टेडी से कंप्यूटर के एक्सपेंशन प्लाट में लगाया जाता है कि नेटवर्क केबल जोड़ने के लिए जेट बना होता है या कंप्यूटर नेटवर्क के बीच संपर्क स्थापित करता है अलग-अलग नेटवर्क टोपोलॉजी का प्रोटोकाल के लिए नेटवर्क इंटरफेस कार्ड भी अलग अलग होता है प्रत्येक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का एड्रेस होता है जो card के निर्माता कंपनी द्वारा दिया जाता है

 बैकबोन नेटवर्क(Backbone Network) :—  
 बैकबोन कंप्यूटर नेटवर्क संरचना का मुख्य सन माध्यम होता है बैकबोन नेटवर्क लिव इन कंप्यूटर नेटवर्क वह आपस में जोड़ता है तथा उनके बीज डाटा चुनाव चरण के लिए मार्ग उपलब्ध करता है विभिन्न को उस क्षेत्र के बैंकों से जोड़ता है विशाल क्षमता अधिक  बैंडविथ तथा अत्यंत और चपाती वाला संचार माध्यम होता है बैकबोन नेटवर्क का मुख्य पहुंच होता है इसे data का सुपर हाइवे कहा जाता जाता है

 मॉडेम(Modem) :— यह Modulator de Modulators ka मॉडल का संक्षिप्त रूप है मॉडेम टेलीफोन लाइन के माध्यम से कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ता है सामान्य टेलीफोन लाइन पर केवल एनालॉग संदेश भेजा जा सकता है जख्मी कंप्यूटर डिजिटल डाटा उत्पन्न कर सकता है मॉडर्न कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न डिजिटल डाटा को बदलता है जिसे जाता है दूसरी तरफ को बनाया जाता है

मॉडम के प्रकार:—
1-Internal Modem
2-External Modem

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2 टिप्पणियाँ

* ने कहा…
Good Information, Thanks bhai
* ने कहा…
Nice post thanks bhai