What is Internet in hindi

इंटरनेट क्या है? (What is Internet? ) 

Internet kya hai


इंटरनेट इंटरनेशनल नेटवर्किंग (Internet International Network) का  संक्षिप्त है। 
यह दुनिया भर मे फैले हैं अनेक छोटे बड़े कंप्यूटर नेटवर्क के विभिन्न संचार माध्यम द्वारा आपस में जुड़ने से बना विशाल व विश्वव्यापी जाल (Global Network) है !जो समान नियम प्रोटोकाल का अनुपालन कर एक दूसरे से संपर्क स्थापित करते हैं तथा सूचनाओं का आदान प्रदान संभव बनाते हैं इंटरनेट नेटवर्क का नेटवर्क है यह संसार का सबसे बड़ा नेटवर्क है ।
जो दुनिया भर में फैले व्यक्तिगत, सर्वजनिक शैक्षिक ,सरकारी नेटवर्क को आपस में जोड़ने से बनता है । 
इंटरनेट को हम आधुनिक युग के संदेशवाहक की संज्ञा दे सकते हैं इस तकनीक का प्रयोग करें कि से सूचना जिसमें डेटा(Data),टेक्स्ट(Text),ग्राफ (Graph),चित्र (picture),तथा चलचित्र(Vedio) वीडियो शामिल है को पलक झपकते ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में भेज सकते हैं इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर में रखी गई विशाल सूचनाओं में से वांछित सूचना प्राप्त कर सकते हैं इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के कारण आधुनिक 'संचार क्रांति का युग 'कहा जाता है।  
Internet kya hai
इंटरनेट का विकास (Development of Internet) :— 
  • प्रो. जे, licklider  ने सर्वप्रथम इंटरनेट के स्थापना का विचारों म1962 इसमें में दिया था इसी कारण इन इंटरनेट का जन्म भी माना जाता है
  • इंटरनेट का प्रारंभ 1969  अमेरिका रक्षा विभाग द्वारा आपनेट (ARPANET-Advance Research Project Agency Net) के विकास से किया गया।आपनेट को दुनिया का पहला नेटवर्क कहा जाता है । आपनेट का प्रयोग रक्षा विभाग में अनुसंधान और विकास के कार्य में किया गया 1989 ईस्वी में इंटरनेट को आम जनता के लिए खोल दिया गया
  • 1989 मे टीम बैरनर्स ली ने  Hyper Text Markuk language (HTML) का विकास किया! 
  • www(World Wide Web) का  प्रस्ताव Tim Burnus Li द्वारा 1989 दिया गया था इसी कारण इंग्लैंड के वैज्ञानिक टीम बर्नर्स ली को वर्ल्ड वाइड वेब (Www) का जनक माना जाता हैl वर्ल्ड वाइड वेब पर हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल (Http) तथा (TCP) /IP   के द्वितीय नियमों का पालन किया जाता है 
  • (www) World Wide Web  का पहला  प्रयोग अगस्त 1991 को किया गया था
  • Mosaic  वर्ल्ड वाइड वेब  पर प्रयुक्त पहला ग्राफिकलग्राफिकल Web  ब्राउज़र था जिसका विकास Marc Aderssen 1993 में किया था
  • 1993   इसवी में (CERN-Europen Organization for Nuclear Research) ने  वर्ल्ड वाइड वेब  को निशुल्क उपयोग के लिए  उपलब्ध कराया
  • 1994   वर्ल्ड वाइड वेब के लिए विभिन्न मानकों द्वारा प्रोटोकॉल का विकास करने के लिए world-wide-web Consortium-W3C) संघ की स्थापना की गई। 
15 अगस्त 1995 ईस्वी को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा भारत में इंटरनेट सेवा का  प्रारंभ किया गया
Internet kya hai
Internet 
इंटरनेट कैसे कार्य करता है (How Internet Works?) 
  दुनिया भर के अनेक छोटे-बड़े कंप्यूटर नेटवर्क को विभिन्न संचार माध्यमों से आपस में जुड़ने से इंटरनेट का निर्माण होता है इंटरनेट पर काम करता है इंटरनेट से जुड़ा पढ़ते कंप्यूटर एक सर्वर से जुड़ा होता है तथा संसार के सभी सरोवर विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं सरवर अपने से जुड़े उपयोगकर्ता को मांगी गई सूचना या डाटा उपलब्ध कराता है यदि मांग सूचना उसके पास उपलब्ध नहीं है तो वह उसकी पहचान करता है जहां यह सूचना उपलब्ध है तथा उस सरवर से सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध करता है इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर के लिए  आवश्यक है कि सभी नेटवर्क एक समान नियमों या प्रोटोकॉल का उपयोग करें ओपन आर्टिटेक्चर नेटवर्किंग द्वारा (TCP/IP)  ke स्तरीय नियमों के परिपालन द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान सुविधाजनक बनाया गया इसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए पैकेट स्विचिंग का प्रयोग किया जाता है इसमें सूचनाओं का बंडल बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है इस कारण एक ही संचार माध्यम का प्रयोग विभिन्न उपभोक्ताओं द्वारा किया जा सकता है इससे दुनिया भर के कंप्यूटर एक दूसरे से सीधे जुड़े बिना भी सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकते हैं
किसी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता की सेवा लेनी पड़ती है टेलीफोन लाइन या इस तकनीकी द्वारा इंटरनेट को इंटरनेट से पढ़ाया जाता है इसके लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता को  कुछ शुल्क देना पड़ता है 

 इंटरनेट का मालिक कौन है? (Who Owns Internet?) 
 इंटरनेट सूचना तंत्र  किसी व्यक्ति या संस्था के नियंत्रण परे है क्योंकि इंटरनेट अनेक छोटे-बड़े कंप्यूटर नेटवर्क की आपस में जोड़ने से बनता है आता इंटरनेट पर अनेक संस्थानों निगम और सरकारी उपक्रमों शिक्षण संस्थाओं व्यक्तिगत संस्थानों तथा विभिन्न सेवा प्रदाताओं(Service Providers) का थोड़ा-थोड़ा स्वामित्व माना जा सकता है 
इंटरनेट के कार्य प्रणाली की देखरेख करने तथा उनके अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करने का कार्य को स्वैच्छिक अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं करते हैं कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हैं—

ISOC(Internet Society) :—  गैर-लाभकारी अंतरराष्ट्रीय संस्थान है जिसका गठन 1962 ईस्वी में इंटरनेट से संबंधित मानकों प्रोटोकाल तथा नीतियों का विकास करने और लोगों को इस संबंध में सचिव बनाने के लिए किया गया थाl 

Internet Architecture Board (IAB) :— जल संस्थान सोसायटी द्वारा निर्धारित नियमों के तहत इंटरनेट के लिए आवश्यक तकनीकी और इंजीनियरिंग विकास का कार्य करता है

ICANN(Internet Corporation for Assigned Name &Number) :— 1998 ईस्वी में स्थापित यह संगठन इंटरनेट पर आईपी ऐड्रेस स्थान प्रदान करने तथा उसके मांगों के निर्धारण का कार्य करता है

  • Domain Name Register:— कुछ गैर सरकारी संस्थाएं आई सी एजेंट द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार इंटरनेट के प्रयोग के लिए डोमेन नेम प्रदान करती है दिनेश डोमेन नेम रजिस्टर करा जाता है विभिन्न ए डोमेन नेम रजिस्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति या संस्था को इंटरनेट पर विशेष डोमिनियन प्रदान किया जाए रजिस्टर का निर्धारण ICANN   या Country code Top Level Domain  द्वारा किया जाता है
  • IRTF(Internet Research Task Force) :— यह संस्थान भविष्य में इंटरनेट की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु अन्वेषण पूर्व खोज को बढ़ा देता है
  • IETF(Internet Engineering Task Force) :— इंटरनेट मांगों का विकास करना उसके उपयोग को प्रोत्साहित करना इस संस्थान का उद्देश्य है

  • Internet kya hai
W3C(World Wide Web Consortium) :— एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो वर्ल्ड वाइड वेब के  जनक  Tim Burnus li  के नेतृत्व में काम करती है इस संगठन 1994 में किया गया संस्था वर्ल्ड वाइड के प्रयोग के लिए मानकों का निर्धारण करती है

 इंटरनेट से  जुड़ना(Connecting to Internet) 
किसी व्यक्ति द्वारा इंटरनेट सेवा से जोड़ने के लिए निम्नलिखित उपकरण सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है-
  •  PC ( Person Computer) 
  • Modem /Network Interface Card  
  • संचार माध्यम टेलीफोन लाइन या विशेष विशेष या प्रकाशित  तंतु या वायरलेस तकनीकी आदि
  •  वेब ब्राउजर   सॉफ्टवेयर
  • ISP(Internet Service Frovider) 
 इंटरनेट सेवा प्रदाता को निर्धारित शुल्क देकर इंटरनेट खाता यूजरनेम तथा पासवर्डड प्राप्त किया जाता है 
यूजरनेम इंटरनेट से जुड़ने के लिए तथा पासवर्ड सुरक्षा रोपनी के लिए आवश्यक है इंटरनेट से जुड़े सभी कंप्यूटर को एक विशेष ip-address प्रदान किया जाता है जो उस कंप्यूटर की पहचान बताता है

 इंटरनेट सेवा प्रदाता(ISP-Internet Service Provider) :— इंटरनेट सेवा प्रदाता वे संस्थाएं हैं जो व्यक्तियों और संस्थानों को इंटरनेट से जोड़ने का माध्यम और उससे संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं इंटरनेट सेवा प्रदाता का कंप्यूटर सर्वर कंप्यूटर कहलाता है जबकि उपयोगकर्ता का कंप्यूटर क्लाइंट कंप्यूटर कॉल आता है इंटरनेट उपयोगकर्ता द्वारा ISP को कुछ सेवा  शुल्क प्रदान करना पड़ता है
इंटरनेट सेवा प्रदाता उपयोगकर्ता और विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़ने के लिए कई संचार माध्यम का उपयोग करता है

 इंटरनेट पर प्रयुक्त प्रोटोकोल(Protocols Used on Internet) :— किसी भी नेटवर्क में दो या अधिक कंप्यूटर के बीच सूचनाओं के त्रुटि रहित आदान-प्रदान को संभव बनाने के लिए जरूरी है कि दोनों कंप्यूटर एक समान नियमों और प्रतिमाओं का अनुपालन करें नियमों तथा प्रति मानव के समूह को प्रोटोकॉल कहा जाता है
कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग किए जाने वाले कुछ प्रचलित प्रोटोकॉल हैं—

1-ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल / इंटरनेट प्रोटोकॉल(Transmission control protocol/ internet protocol) :—  यह इंटरनेट पर प्रयोग का सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोटोकॉल है ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (TCP) इंटरनेट प्रोटोकॉल(IP)  दो अलग अलग फोटोकाल हैं पर क्योंकि इनका प्रयोग एक साथ किया जाता है अतः इन्हें सम्मिलित रूप से इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट कहा जाता है   इसका  प्रयोग कर इंटरनेट पर दूरस्थ कंप्यूटर तथा सरवर के बीच संचारा स्थापित किया जाता है
TCP/IP  इंटरनेट का  संचार प्रोटोकॉल(Communication Protocol) है  ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल पैकेट स्विचिंग तकनीकी का प्रयोग करता है जब भी किसी सूचना या डाटा को किसी कंप्यूटर या सरवर द्वारा इंटरनेट पर भेजा जाता है तो ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल उस सूचना को छोटे-छोटे समूहों में विभाजित कर देता है इन समूह को पैकेट कहा जाता है इंटरनेट प्रोटोकॉल प्रत्येक पैकेट को एक विशेष पता देता है तथा पहुंचने के लिए उनका रास्ता तय करता है जरूरी नहीं कि किसी एक सूचना के सभी पैकेट एक ही रास्ते से पहुंचे बल्कि अलग-अलग रास्तों से भी अपने मार्ग तक पहुंचते हैं नेटवर्क से जुड़ा राउटर प्रत्येक पैकेट को अपने गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करता है यदि एक संचार माध्यम में  खराबी आती है तो डाटा पैकेट उपलब्ध वैकल्पिक संचार माध्यमों द्वारा गंतव्य तक पहुंचाया जाते हैं गंतव्य स्थान पर पुणे इन पैकेट को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल की सहायता से सही क्रम में व्यवस्थित कंप्यूटर का उपयोग के लिए दिया जाता हैहै


2- SMTP(Simple Mail Transfer Protocol) :—  
इंटरनेट पर ईमेल के लिए प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोटोकॉल है उपयोगकर्ता के कंप्यूटर से मैसेज को ईमेल सर्वर तक और  सर्वर से प्राप्त प्राप्तकर्ता तक भेजने के लिए इस प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता है 

3. एचटीपीपी ( HTTP - Hypertext Transfer Proto col ) : -
यह वर्ल्ड वाइड वेब ( www ) पर hyper text documents को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोटोकाल है । वेब सर्वर से उपयोगकर्ता तक web page का हस्तांतरण इसी प्रोटोकाल द्वारा किया जाता है । एचटीटीपी Client - Server Principle पर काम करता है । इसमें एक कम्प्यूटर दूसरे कम्प्यूटर से संपर्क स्थापित कर फाइल या डाटा भेजने का अनुरोध करता है । दूसरा कम्प्यूटर उस अनुरोध को स्वीकार कर संबंधित सूचना वापस भेजता है । 

4. एफटीपी ( FTP - File Transfer Protocol ) : -   यह इंटरनेट पर प्रयुक्त एक प्रोटोकाल है जिसका प्रयोग नेटवर्क से जुड़े किसी कंप्यूटर तथा सर्वर के बीच फाइल स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है । फाइल में डाटा , टैक्स्ट , ग्राफ , चित्र , ध्वनि ( audio ) या चलचित्र ( video ) हो सकता है । फाइल स्थानान्तरण के लिए दूरस्थ ( remote ) कंप्यूटर से Log - in द्वारा संपर्क स्थापित किया जाता है । इसके बाद फाइल को upload या download किया जाता है । फाइल स्थानान्तरण केलिए उपयोगकर्ता के पास दूरस्थ कंप्यूटर तक जाने का अधिकार होना आवश्यक है । इंटरनेट पर कुछ अज्ञात एफटीपी साइट ( Anony .. .. डाटा और mous FTP Sites ) होती हैं जिन्हें किसी भी व्यक्ति द्वारा उपयोग किया जा सकता है । इसके लिए किसी विशेष एकाउंट या पासवर्ड की जरूरत नहीं होती है । वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध डाटा व सूचनाओं का भंडार अधिकांशतः Anonymous FTP Sites ही हैं । 

5. गोफर ( Gopher ) : यह एक प्रोटोकॉल साफ्टवेयर है जो इंटरनेट द्वारा दूरस्थ कम्प्यूटर से डाक्यूमेंट्स को खोजना , प्राप्त करना तथा उन्हें प्रदर्शित करना संभव बनाता है ।
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 6. टेलीनेट ( Telenet ) : टेलीनेट प्रोटोकॉल साफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा दो अलग - अलग स्थान पर स्थित कम्प्यूटरों को दूरसंचार नेटवर्क द्वारा आपस में जोड़कर Remote कम्प्यूटर के फाइलों का उपयोग किया जा सकता है । इसे Remote Login भी कहा जाता है । Telenet द्वारा हम Remote कम्प्यूटर का उपयोग ऐसे करते हैं , जैसे उसी कम्प्यूटर के सामने बैठे हों । इसमें Local कम्प्यूटर टाइप किया गया कमांड Remote कम्प्यूटर द्वारा क्रियान्वित किया जाता है तथा Romote कम्प्यूटर में होने वाले प्रोसेसिंग तथा उसके परिणाम को Local कम्प्यूटर के मॉनीटर पर देखा जाता ( www - World Wide Web

7.वल्र्ड वाइड वेब ( WWW-World Wide Web ) :— परिणाम को Local कम्प्यूटर के मॉनीटर पर देखा जाता है । इसे W3 या वेब ( Web ) भी कहा जाता है । यह इंटरनेट पर उपलब्ध सर्वाधिक लोकप्रिय व उपयोगी सेवा है । यह हाइपर लिंक द्वारा आपस में जुड़े हुए सूचनाओं का विशाल समूह है जिसे इंटरनेट पर web browser की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है । वर्ल्ड वाइड वेब एक ऐसा तंत्र है जिसमें विभिन्न कंप्यूटरों में एकत्रित सूचनाओं को Hyper text documents की सहायता से एक - दूसरे से जोड़ा जाता है । इन सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए Hyper text transfer protocol का प्रयोग किया जाता है । वर्ल्ड वाइड वेब ( www ) ने इंटरनेट पर सूचनाओं का आदान - प्रदान आसान बनाया है तथा इंटरनेट को सूचना राजमार्ग ' ( Information Highway ) में परिवर्तित कर दिया है । वर्ल्ड वाइड वेब पर संग्रहित प्रत्येक पेज web page कहलाता है । ये वेब पेज एचटीएमएल ( hyper text mark - up language ) का प्रयोग कर तैयार किए जाते हैं तथा hyperlink द्वारा एक - दूसरे से जुड़े होते हैं । वह स्थान जहां ये web page संग्रहित रखे जाते हैं , web site कहलाता है । प्रत्येक web site का प्रथम पृष्ठ , जो उसके अंदर स्थित सूचनाओं की सूची प्रदान करता है , Home Page कहलाता है । 

किसी वेब साइट को खोलने पर सबसे पहले home page ही दिखाई पड़ता है । वेब पेज को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक भेजने के लिए Hypertext transfer protocol ( Http ) का प्रयोग किया जाता है । इस प्रोटोकाल से इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाला कंप्यूटर Web server कहलाता है , जबकि इस सेवा का उपयोग करने वाला web client कहलाता है ।

7. वल्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट में अंतर :—  वर्ल्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट में अंतर : इंटरनेट भाषा पर उपलब्ध सेवा वर्ल्ड वाइड वेब ( www ) की लोकप्रियता का जोड़ अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सामान्यतः वर्ल्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट का प्रयोग एक ही अर्थ में किया जाता है । पर Ma वास्तव में वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट पर आधारित एक सेवा मात्र है । वर्ल्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट में कुछ मूलभूत अंतर इस प्रकार हैं . इंटरनेट एक अंतर्राष्ट्रीय संचार नेटवर्क ( Communication 

. इंटरनेट एक अंतर्राष्ट्रीय संचार नेटवर्क(Communication Network ) है जो हार्डवेयर व साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर वास्तव जोड़ता है । दूसरी तरफ , वर्ल्ड वाइड वेब हाइपरलिंक द्वारा दुनियाभर में फैले छोटे बड़े कंप्यूटर नेटवकों को आपस में आपस में जुड़े सूचनाओं का एक समूह है जिनका साझा उपयोग किया जा सकता है । . इंटरनेट के लिए इंटरनेट प्रोटोकाल सूइट ( TCP तथा IP ) का प्रयोग किया जाता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल ( http ) का प्रयोग करता है 
 • इंटरनेट के प्रयोग के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता ( Internet Service Provider ) पड़ता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट पर उपलब्ध एक निःशुल्क सुविधा है ।
 • इंटरनेट हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर दोनों के समन्वय से कार्य में करता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब केवल विभिन्न साफ्टवेयर का को शुल्क देना उपयोग करता है । 
• वर्ल्ड वाइड वेब एक सुविधा है और इंटरनेट उस तक पहुंचने का माध्यम है।

वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रयुक्त भाषाएं( Languages Used on - WWW )

1-(एचटाएमएल ( HTML - Hyper Text Markuplan guage ) :—
यह वल्ड वाइड वेब पर webpages को तैयार करने के लिए प्रयुक्त साफ्टवेयर language है जिसमें hypertext तथा hyperlink का प्रयोग किया जाता है । HTML में विभिन्न वेब पेज को हाइपर लिक का प्रयोग कर आपस में जोड़कर रखा जाता है । है 7.2 . जिससे उपयोगकर्ता अपनी इच्छानुसार एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज या वेब साइट तक जा सकता है । 
Hyper Text 

हाइपर टेक्स्ट ( Hyper text ) :— यह कंप्यूटर या किसी वेब पेज पर प्रदर्शित वह text है जो उसी या किसी अन्य वेब पेज पर उपलब्ध टेक्स्ट , ग्राफिक्स , चित्र , चलचित्र या किसी अन्य डिवाइस से जुड़ा ( link ) रहता है । हाइपर टेक्स्ट को स्क्रीन पर गहरे नीले रंग ( blue colour ) में या रेखांकित ( underline ) कर दिखाया जाता है । इस टेक्स्ट पर कर्सर को ले जाने पर वह हाथ के चिह्न जैसा हो जाता है । हाइपर टेक्स्ट को माउस या की - बोर्ड द्वारा activate करने पर उपयोगकर्ता तुरंत उससे जुड़ी सूचना तक पहुंच जाता है। 


हाइपर लिंक ( Hyper. 🔗 link ) :—  यह हाइपर टेक्स्ट द्वारा प्रदर्शित text या icon को आपस में जोड़ने की व्यवस्था है । हाइपर लिंक द्वारा हम वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित विभिन्न वेब पेज को अपनी सुविधानुसार देख सकते हैं । हाइपर लिंक को HTML साफ्टवेयर
भाषा में तैयार किया जाता है। यह विभिन्न वेब पेज को आपस में जोड़ने का काम करता है। 

 2- एक्सटेंसिबल मार्कअप लैंग्वेज (एक्सएमएल - एक्स्टेंसिबल मार्कअप लैंग्वेज): यह वल्ड वाइड वेब पर वेब पेज तैयार करने के लिए प्रयुक्त एक लैंग्वेज है। XML लैंग्वेज में डेटा स्टोर करने और उसे एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक स्थानानारित करने को प्रमुखता दी जाती है। HTML भाषा में जहां वेब पेज की डिज़ाइन पर ध्यान होता है वहीं XML भाषा में डेटा स्टोर करने और डेटा स्थानीकरण पर जोर होता है।

 3-एक्सटेंसिबल एचटीएसएल (एक्सएचटीएमएल - एक्सटेंसिबल एचटीएमएल): इस साफ्टवेयर लैंग्वेज में एचटीएमएल और एक्सएमएल दोनों भाषाओं की विशेषता समाहित होती है।

 4-जावा स्क्रिप्ट (Java Seript): यह सन माइक्रोसिस्टम्स कंपनी द्वारा विकसित साफ्टवेयर लैंग्वेज है जिसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है। यह एक स्क्रिप्टिंग भाषा है जिसमें निर्देशों को लिखने की आवश्यकता कम पड़ती है।
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5- ( PHP - Hypertext Pre Processor ) : प्रारंभ में इसे Personal Home Page नाम दिया गया था । PHP एक साफ्टवेयर लैंग्वेज है जिसका प्रयोग Dynamic web Pages के विकास में किया जाता है । इस भाषा का विकास रैसमस लेडॉर्फ ( Rasmus Lerdori ) ने 1994 में किया था । PHP एक मुफ्त साफ्टवेयर है । इस भाषा का प्रयोग HTML भाषा के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है । Facebook तथा Yahoo की वेबसाइट PHP भाषा में ही तैयार की गई है । 
😕😟😕 रोचक तथ्य वेब पेज पर Hyper Link किए गए शब्द को नीला ( Blue ) रंग में दर्शाते हैं क्योंकि नीला वह सबसे गहरा रंग है जो टेक्स्ट की पठनीयता को प्रभावित नहीं करता । 


इंटरनेट प्रोटोकाल एड्रेस ( IPAddress) :— इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या उपकरण को उसकी पहचान के लिए एक विशेष अंचल पता दिया जाता है, जिसे आईपी पता प्राप्त होता है। यह अंकीय पता इंटरनेट से जुड़ने पर इंटरनेट सेवा प्रदाता द्वारा दिया जाता है। विश्वभर में इंटरनेट से जुड़े किसी दो कंप्यूटर का आईपी पता एक समान नहीं हो सकता है। IPAddress इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर को एक विशेष पहचान प्रदान करता है। इसमें कंप्यूटर या उपकरण द्वारा प्रयुक्त वायरल का नाम और नेटवर्क पर उसकी स्थिति (स्थान) शामिल रहता है। इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर (ISP) यदि कोई कंप्यूटर को स्थायी IPAddress प्रदान करता है तो उसे स्टेटिक आईपी विज्ञापन पोशाक कहते हैं। यदि किसी कंप्यूटर के इंटरनेट से जुड़ने पर हर बार नया IP Address दिया जाता है तो उसे गतिशील Dynaemic  IP पता कहा जाता है।Internet Protocol Version 4 ( IPv4 ) IP ad dress के लिए अभी तक किया जा रहा है । इसमें एड्रेस के लिए 32 बिट नंबर का प्रयोग किया जाता है । IPv4 में 0 से 255 तक के अंकों का चार समूह ( set ) होता है जिसे तीन डॉट ( . ) द्वारा अलग किया जाता है । जैसे -173.225.0.14 इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के बढ़ती संख्या के कारण 32 बिट एड्रेस कम पड़ने लगा । इसी कारण Internet Protocol Version 6 ( IPv6 ) का विकास किया गया जिसमें एड्रेस के लिए 128 बिट नंबर का प्रयोग होता है । इस व्यवस्था में कुल 2120 IPAddress प्रदान किए जा सकते हैं । IPv6 में चार हेक्साडेसीमल अंकों का आठ समूह होता है जिसे colons ( e ) द्वारा अलग किया जाता है । जैसे- 2001 : 1276 : 0a8e : 1234 : 0000 : 0001 : 0576 : 008b क्या हैं ? मॉडेम की सहायता से जब किसी कम्प्यूटर या अन्य उपकरण को इंटरनेट से जोड़ा जाता है , तो ISP ( Internet Service Provider ) उपयोगकर्ता को एक अस्थायी IP Ad dress प्रदान करता है । प्रत्येक बार इंटरनेट से जुड़ने पर अलग - अलग IP Address प्रदान किया जाता है , जिसे Dy namic IP Address कहते हैं । यह इंटरनेट सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होता है । ISDN , DSL , केबल मॉडेम या फाइबर ऑप्टिक में मॉडेम का प्रयोग नहीं होता । अतः इनका प्रयोग कर इंटरनेट से जुड़ने पर एक स्थायी IP Address प्रदान किया जाता है जिसे Static IP Address कहते हैं ।

 9. डोमेन नेम सिस्टम ( Domain Name System ) इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या उपकरण को सर्वर द्वारा एक विशेष अंकीय पता दिया जाता है , जिसे IP address कहते हैं । इस अंकीय पता को याद रखना एक कठिन कार्य है । दूसरी तरफ , कंप्यूटर सर्वर केवल बाइनरी अंकों वाले अंकीय पता की ही पहचान कर सकता है । इस समस्या के हल के लिए डोमेन नेम सिस्टम ( DNS ) का प्रयोग किया जाता है । डोमेन नेम सिस्टम संख्याओं से बने IPAddress को शब्दों से बने डोमेन नेम में बदल देता है जो याद रखने और उपयोग करने में आसान होता है । डोमेन नेम सिस्टम में सभी Domain Name तथा उससे संबंधित IP Address का संग्रह होता है । जब हम किसी वेब ब्राउसर पर किसी वेबसाइट का domain name टाइप करते हैं तो डोमेन नेम सिस्टम उसे अंकीय पता ( IP Address ) में बदल देता है ताकि सर्वर उस कंप्यूटर की पहचान कर उससे संपर्क स्थापित कर सके । Domain Name केस सेंसिटिव ( case sensitive ) नहीं होता , अर्थात् उन्हें बड़े अक्षरों ( Capital letters ) या छोटे अक्षरों ( small letters ) किसी में भी टाइप करने पर समान परिणाम प्राप्त होता है । 9.1 . डोमेन नेम ( Domain Name ) : नेटवर्क में प्रत्येक वेब साइट को एक विशेष ( Unique ) नाम दिया जाता है जो उस वेब
साइट का पता ( address ) होता है । किसी भी दो वेबसाइट का डोमेन नेम एक समान नहीं हो सकता । DNS सर्वर डोमेन नेमके IPAddress में बदलकर उस यब साइट की पहचान करता है । डोमेन नेम में उस वेब साइट का नाम तथा एक्सटेंशन : शामिल होता है । प्रत्येक वेब साइट का अपना अलग - अलग नाम होता है जबकि एक्सटेंशन नाम कुछ पूर्व निर्धारित विकल्पों में से कोई एक हो सकता है । नाम तथा एक्सटेंशन को डॉट . ) द्वारा अलग किया जाता है । www डोमेन नेम का अंग होता है । पर यदि इसे ब्राउसर के Address Bar पर टाइप न किया गया हो , तो वेब ब्राउसर इसे स्वदं जोड़ लेता है । 
Domain name के उदाहरण हैं Google.com Google.com
Yahoo.co.in 
Hotmail.com 
Name Extention 
  • डोमेन नेम में अंक या अक्षर दोनों हो सकते हैं ।
 • इसमें अधिकतम 64 कैरेक्टर हो सकते हैं । 
• इसमें एकमात्र विशेष कैरेक्टर hyphen ( - ) का प्रयोग किया जा सकता है । 
  • डोमेन नेम का अंतिम भाग , जिसे dot ( ) के बाद लिखा जाता है , किसी संगठन ( organization) या देश (country) इंगित करता है । इसे domain indicator या Top Level Domain ( TLD ) भी कहते हैं । संगठन को इंगित करने वाला डोमेन नेम generic domain कहलाता है जबकि देश को इंगित करने वाला डोमेन नेम country domain कहलाता है । 
  • टॉप लेवेल डोमेन ( TLD ) एक्सटेंशन के कुछ उदाहरण है-  cdu - educational ( शैक्षणिक ) 
  • com - commercial ( व्यवसायिक )
  •  org - organization ( संस्थान ) gov
  • government ( सरकारी )
  • mil - military ( सैन्य संगठन ) 
  • net networking ( नेटवर्क ) 
  • int -International ( अंतरराष्ट्रीय) 
  • Co-Company ( कंपनी) 
  • Info-Information ( सूचना प्रदाता) 
Country Code Top Level Domain
In- India 🇮🇳
Uk- United Kingdom🇬🇧
Us- United States of America🇺🇸

Uniform source Locator -: वर्ल्ड वाइड वेब ( www ) पर किसी वेब साइट 9.2 . यूनीफार्म रिसोर्स लोकेटर ( URL - Uniform Re- या वेब पेज का विशेषीकृत पता ( specific address ) उस वेब साइट या वेब पेज का URL कहलाता है । यह कंप्यूटर नेटवर्क की व्यवस्था है जो यह बतलाता है कि वांछित सूचना कहां उपलब्ध है और उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है । वेब ब्राउसर का उपयोग कर किसी वेब साइट या वेब पेज तक पहुंचने के लिए web browser के address bar पर उसका URL टाइप किया जाता है । URL में डोमेन नेम शामिल होता है तथा इसमें शब्द , अंक या विराम चिह्न सिस्टम ( Letters , number or Punctuation marks ) हो सकते हैं । किसी वेबसाइट में प्रत्येक वेब पेज का अपना अलग URL होता है जिसे टाइप कर सीधे उस वेब पेज तक पहुंचा जा सकता है । 
में किसी भी URL में शामिल होता है
 1. Transfer protocol का नाम
 2. Colon Slash ( : // ) विकसित 
3. Server का नाम पता - इसे host computer का domain रहता name भी कहा जाता है ।
 इसमें www , वेबसाइट का Domain name तथा Top Level Domain ( TLD ) शामिल होता है । 
4. वेब पेज तक पहुंचने का रास्ता - Directory path किया 
5.File का नाम एक URL के उदाहरण हैं कोई ब्राउसर Macintosh http://www.google.com/html/index.html
 2 3 4 5 ब्राउसर 
ftp : // info.apple.com/ design.html 2 3 URL में खाली स्थान ( space ) का प्रयोग नहीं होता तथा इसमें प्रयुक्त forward slash फाइल के directory path को दर्शाता है ।


Uniform Re- source Identifier - URI ) : URI वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित किसी फाइल या सूचना का नाम और उसकी स्थिति ( name and loca- tion ) बताता है । URI में URL का कुछ या पूरा हिस्सा शामिल होता है । URI में सूचना या फाइल का नाम या स्थिति या दोनों होता है जबकि URL सूचना की स्थिति ( location ) तथा उसे प्राप्त करने का मार्ग बतलाता है । 
** URL केस सेंसिटिव ( case sensitive ) होता है । अतः किसी वेब साइट का URL टाइप करते समय बड़े अक्षरों ( Capi tal letters ) तथा छोटे अक्षरों ( Small letters ) का विशेष ध्यान रखना होता है । 


 वेब ब्राउसर ( Web Browser ) :—इंटरनेट पर वर्ल्ड वाइड वेब ( www ) का प्रयोग वेब ब्राउसर साफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता है । वेब ब्राउसर एक अप्लिकेशन प्रोग्राम है जो वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित हाइपर टेक्स्ट डाक्यूमेंट्स को उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध विकल्प है। वेब ब्राउजर साफ्टवेयर हाइपर टेक ट्रांसफर इंस्टाल (http) पर कार्य करता है। वेब ब्राउजर का प्रयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर वेब पेज को देखने ब्राउजिंग या सर्फिंग कहलाता है। सर्किंग के दौरान URL, हाइपर नंबर या व्यूसर पर बने नेविगेशन तुअर (नेविगेशन टूल्स) की सहायता से एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज तक पहुंचा जा सकता है। किसी वेब भाषी में जब हम किसी वेब साइट या वेब पेज का URL टाइप करते हैं, तो वेब ब्राउजर उस URL को डोमेन नेम सिस्टम की मदद से आईपी पते में बदल देता है और इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर आईएसपी) के जरिये उस वेबसाइट से हमें जोड़ देता है। है। सबसे पहले वेब Browsee का विकास टिम बर्नर्स ली ने 1991 किया था। 
 वर्तमान में कुछ प्रचलित वेब Browser
हैं  
इंटरनेट एक्सप्लोर: — माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन दौरा विसकसीीत विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में शामिल रहता है। यह विश्व का सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाने वाला Web Browser हैै 

Mozila Fire Fox:— इसका विकास मोज़िला कॉपोरेेेनश द्वारा किया गया है। इस वेब स्पीकर्स का प्रयोग विंडोज, लिनक्स और मैकिन्टोश आदि ऑपरेटिंग सिस्टम में किया जा सकता है। यह एक मुफ्त वेब ब्राउज़र है जिसका नाम है इसका उपयोग करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। 

 ओपेरा: —यह ओपेरा साफ्टवेयर कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित वेब दर्शकों के पास जो मोबाइल फोन और पीडीएफ (पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट) में प्रयोग के लिए लोकप्रिय माना जा रहा है। 
 Apple की सफारी:—सफारी  वेब  Browser का विकास Apple कॉर्पोरेेेन  दारा 2007 में किया गया था। यह Mocintosh ऑपरेटिंग सिस्टम में शामिल रहता है और इसका प्रयोग आईफोन और आईपैड (ipad) के लिए भी किया जाता है। 

 Google Chrome: —यह Google कंपनी द्वारा सन 2008 में विकसित किया गया वेब Browsers  है जो अपने बेहतर सुरक्षा प्रावधानों (सुरक्षा सुविधाओं) और उच्च गति क्षमता (उच्च गति) के लिए लोकप्रिय हो रहा है।

 ग्राफिकल वेब बाउचर (Graphical We Browser): ग्राफिकललेस ब्राउसर में उपयोगकर्ता और वर्ल्ड वाइड वेब के बीच  (इंटरफ़ेस) चित्र (ग्राफ़) या आइकन (आइकन) या नीले रंग के text💬  द्वारा स्थापित किया जाता है। मोज़ेक को पहला लोकप्रिय. Graphical We Browser कहा  जाता है

वेब ब्राउज़र कैसे कार्य करता है? (How Web Browser Working) :—
 वेब ब्राउसर एक साफ्टवेयर है जिसकी सहायता से हम वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध किसी सूचना को इंटरनेट के जरिए प्राप्त कर सकते हैं । 
  • वेब ब्राउसर द्वारा किसी सूचना को प्राप्त करने के लिए हम ब्राउसर के Address bar पर उस web site या web page का URI टाइप करते हैं ।
  • वेब ब्राउजर डोमेन नाम प्रणाली द्वारा सर्वर कंप्यूटर का आईपी पता पता करता है और सर्वर के साथ ट्रांसमीस सायन नियंत्रण प्रोटोकॉल का प्रयोग कर पता चलता है। 
  •  अब वेब सर्वर टीसीपी / आईपी की सहायता से वेब पेज को उपयोगकर्ता के कंप्यूटर तक पहुँचता है। यह वेब पेज स्क्रीनर्स द्वारा कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित कर दी जाती है। 
  •  वेब ब्राउजर में प्रयोग किए जाने वाले अभिनवल को भी टाइप कर सकते हैं। यदि किसी विकासशील का नाम टाइप नहीं किया गया है तो http डिफाल्ट बैंकिंगल के रूप में प्रयोग होता है।
Title Bar:—इंटरनेट एक्प्लोरर विंडों के सबसे अपर टाइटल बार स्थित होता है । इस पर , वर्तमान वेब पेज का नाम तथा Minimize , Maximize / Restore और Close बटन होता है । 

Address Bar : —— Address Bar & navigation but ton- Back तथा Forward होते हैं । Backe बटन से जम पिछली देखी हुई वेबसाइट पर जा सकते हैं । Forward - टन से हम उस वेब पेज पर जाते हैं जहां Back बटन दबाने से पहले थे । इन कटनों के साथ एक डाउन ऐरो बटन भी होता है । इस बटन को बचाने पर एक पुल डाउन मेन्यू प्रदर्शित होता है , जो उस रैब में पहले देखे गए सभी वेब पेज की सूची प्रदर्शित करता है ।
 URL Box : —— Address bar पर स्थित URL बॉक्स में वोजित वेबसाइट या वेब पेज का डोमेन नेम या PAddres राइप कर address bar पर स्थित Go बटन या कीबोर्ड पर स्म दबाया जाता है । इससे Web Browser उस वेब पेज को प्रदरिति करता है । वेब ब्राउसर के URL बॉक्स में URL के आरंभ में Np / www तथा अंत में .com टाइप करना आवश्यक नहीं होता । नेम ब्राउसर इसे स्वतः ही URL के साथ जोड़ लेता है ।

Recycle/Go URL Box:— URL  के बगल मे Recycle/Go Icon होता है। यह वेब पेज को refresh या update करता है । इसका प्रयोग प्रदर्शित न हो सके वेब पेज को पुनः लोड करन या देव पेज पर किसी नई सूचना को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है । की - बोर्ड पर बटन को दबाकर भी इस कार्य को संपादित किया जा सकता है। 

Stop :— Address bar पर  स्थित stop icon पर click करने से वेब ब्राउज़र  वर्तमान वेब पेज को लोड करना बंद कर देता हैं। 

Search Box:— 
यह इंटरनेट एक्सप्लोरर कई इंजन है । इस बॉक्स में वांछित सूचना के कुछ प्रमुख शब्द ( Key words ) टाइप कर उससे संबंधित वेब पेज खोजा जा सकता है । 

Favorites:— इंटरनेट एक्सप्लोरर पर प्रदर्शित इस आइकन का प्रयोग कर बार - बार देखी जाने वाली वेबसाइट का URL सेव ( Save ) किया जा सकता है । अगली बार इस वेबसाइट पर जाने के लिए URL टाइप करने की जरूरत नहीं होती है । कुछ वेब ब्राउसर में इस सुविधा को Bookmark कहा जाता है ।

Histroy:— इस सुविधा का प्रयोग कर उस वेब ब्राउसर द्वारा पहले देखे गए वेब साइट की सूची प्राप्त कर सकते हैं । इस सुविधा को एक दिन , सप्ताह , माह या वर्ष में देखे गए वेबसाइट की सूची याद रखने के लिए सेट किया जा सकता है । इस सूची में से किसी वेब साइट को संबंधित लिंक पर क्लिक कर पुनः देखा जा सकता है ।

सर्च इंजन (Search Engine) :— वर्ल्ड वाइड वेब सूचनाओं का अथाह भंडार है जिसमें करोड़ों वेब पेज स्थित हैं जिन्हें इंटरनेट की मदद से प्राप्त किया जा सकता है । इस अथाह भंडार में से वांछित सूचना खोजने में सर्च इंजिन हमारी मदद करता है । सर्च इंजिन वेब पर स्थित सभी वेब पेज की सूची ( index ) बना कर रखता है । यह वेब पेज के टाइटल ( title ) , उसके मुख्य शब्द ( key words ) या वेब पेज पर स्थित किसी शब्द या शब्द समूह ( text or phrase ) के आधार पर वेब पेज की खोज करता है । मुख्य शब्द ( Key Word ) के साथ टर्म आपरेटर ( Term Operator ) का प्रयोग कर सर्च को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है । वेब ब्राउसर में जब हम कोई टेक्स्ट या फ्रेज डालते हैं , तो सर्च इंजिन इससे संबंधित वेब पेज की सूची प्रदर्शित करता है । कुछ लोकप्रिय सर्च इंजिन हैं 
  • Google 
  • Yahoo
  • Ask.com
  •  Alta Vista 
  • Orkut


सर्च इंजन  द्वारा सूचना खोजना(Searching Information Through Search Engine) :—
 वेब ब्राउज़र की एड्रेस बॉक्स में सर्च इंजन का पता (URL) टाइप करे जैसे-WWW.google.com
 सर्च इंजन के मेन पेज के सर्च बॉक्स में वांछित सूचना से संबंधित कीवर्ड या प्रेस टाइप करें टॉम ऑपरेटर का प्रयोग कर सूचना को खोजना और अधिक आसान बनाया जा सकता है सर्च इंजन कीबोर्ड के आधार पर संबंधित वेबसाइट की सूची प्रदर्शित करता है सूची में दिए गए Hyperlink पर क्लिक कर उसके Website या पेज को प्रदर्शित किया जा सकता है। 


सुर्फिंग (Surphing) :— 
  वर्ल्ड वाइड वेब पर अपने पसंद की सूचना की खोज में एक वेब पेज से दूसरे वेव पेज पर जाना सफिंग कहलाता है । वेब पेज पर उपलब्ध हाइपर लिंक की व्यवस्था इस कार्य को आसान बनाती है । वस्तुतः बिना किसी सही दिशा और उद्देश्य के एक वेब से दूसरे वेब पेज तक जाना ही सफिंग कहलाता है 

 इंटरनेट शब्दावली(Term Related to Internet) 
 उपयोगकर्ता कंप्यूटर(Client Computer) :— इंटरनेट से जुड़ा कंप्यूटर जो सर्वर कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट की सुविधाओं का उपयोग करता है क्लाइंट कंप्यूटर  कहलाता है

 सर्वर कंप्यूटर(Server Computer) :—   
सर्वर कंप्यूटर ( Server Computer ) : उच्च भंडारण क्षमता तथा तीव्र गति वाला कंप्यूटर जिस पर एक या अधिक वेब साइट की सूचनाएं / वेब पेज संग्रहित रहते हैं , सर्वर कंप्यूटर कहलाता है । सर्वर कंप्यूटर अपने से जुड़े कंप्यूटरों को अनुरोध पर सूचना / वेब पेज उपलब्ध कराता है । यह एक साथ कई उपयोगकर्ताओं को डाटा उपलब्ध करा सकता है ।

वेब पेज (Web Page) :— वेब पेज एक इलेक्ट्रानिक पेज है जिसे HTML ( Hyper Text Markup Language ) का प्रयोग कर बनाया जाता है । वेब साइट पर दिखने वाला प्रत्येक पेज वेब पेज ही होता है । वेब पेज में टेक्स्ट , चित्र , रेखाचित्र , आडियो , वीडियो या हाइपरलिंक कुछ भी हो सकता है । 

 Static Dynamic Web Page:— स्टैटिक / डायनमिक वेब पेज ( Static / Dynamic Web Page ) : स्टैटिक वेब पेज के कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होने के बाद उसमें कोई परिवर्तन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उसे Refresh या Update नहीं कर दिया जाए । 
दूसरी तरफ , डायनमिक वेब पेज के स्वरूप और तथ्यों ( Con-tent) मे लगातार लगातार परिवर्तन होता रहता है । उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए इनपुट या डाटाबेस के आधार पर कम्प्यूटर स्वतः वेब पेज में Dynamic HTML लैग्वेज साफ्टवेयर का प्रयोग कर तैयार किया जाता है। 

वेब Sit(Web Site) :— एक ही डोमेन नेम के अंतर्गत पाये जाने वाले वेब पेज का संकलन वेब साइट कहलाता है । किसी वेब साइट में एक या अधिक वेब पेज हो सकते हैं । वेब साइट के विभिन्न पेज आपस में हाइपर लिंक द्वारा जुड़े होते हैं 

होम पेज (Home Page) :— किसी वेब साइट का पहला या मुख्य पृष्ठ होम पेज कहलाता है । किसी वेब साइट को खोलने पर सबसे पहले उसका होम पेज ही कंप्यूटर पर प्रदर्शित होता है । होम पेज पर वेब साइट पर उपलब्ध विषयों की सूची ( index ) हो सकती है । किसी वेब साइट के विभिन्न पेज को देखते समय " Home " बटन क्लिक करने पर उसका होम पेज स्वतः सामने आ जाता है। 

होस्ट (Host) :— इंटरनेट सेवा व अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए नेटवर्क से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर होस्ट कहलाता है ।

इंटरनेट सर्विस Provider (Interet  Service Provider) :— यह इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली एक संस्था है जिसमें एक या अधिक गेटवे ( Gateway ) कंप्यूटर रहता है तथा जो इससे जुड़े अन्य जवाब की कंप्यूटरों को इंटरनेट से जुड़ने की सेवा प्रदान करता है ।

अनोमिक्स सर्वर (Anomix Server) :— वह सर्वर जिससे जुड़ने के लिए पासवर्ड ( Password ) या किसी अन्य पहचान ( au ) thentication ) की जरूरत नहीं होती , एनोनिमस सर्वर कहलाता है । 

Thumbnail:—  किसी चित्र या मैप को प्रदर्शित करने वाला नाखून ( nail ) के आकार का छोटा रूप (thumbnail )कहलाता है। 


क्रॉक् प्लेटफॉर्म (Cross Platform) :—     ऐसा सॉफ्टवेयर जो किसी भी कंप्यूटर  हैंड्वेयर या किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ का का सकता है, उसे cross platfom कहते है। 

 वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality) :— इंटरनेट पर उपलब्ध वेब पेज को वास्तविकता के नजदीक लाने तथा जीवंत बनाने के लिए उनमें त्रि - आयामी प्रभाव ( three dimentional effect ) डाला जाता है जिसे virtual reality कहते हैं ।
 VRML ( Virtual Reality Modelling Language ) 1791 का प्रयोग कर वेब पेज में वर्चुअल रियलिटी का आभास डाला जाता I VRML HTML ( Hyper Text Markup Language ) three dimentional ( 3D ) रूप कहा जा सकता है । 

पॉप अप ( Pop up ) :— वर्ल्ड वाइड वेब पर सर्किंग करते समय या वेब पेज पढ़ते समय स्वयं खुलने वाला छोटा विंडो पॉप कहलाता है। 

लॉग इन(Log in) :— इंटरनेट पर किसी अन्य कप्यूटर या सर्वर से जड़ने की प्रक्रिया ताकि उस कंप्यूटर या सर्वर की सुविधयो का उपयोग किया जा सके, लॉग इन कहलाता है। 

लॉग ऑफ (Log Off) :— इंटरनेट पर किसी कप्यूटर या सर्वर से जुड़कर अपना कार्य समाप्त कर उस प्रोग्राम से बाहर निकलने की प्रकिया को लॉग ऑफ कहते है। 

डॉनलोड (Downlod) :— किसी नेटवर्क में किसी दूसरे कंप्यूटर या सर्वर से डाटा या सूचना को स्थानान्तरित करना down- load कहलाता है । डाउनलोड किए गए फाइल ( डाटा या सूचना ) को स्थानीय कंप्यूटर पर संग्रहित तथा प्रोसेस किया जा सकता है । डाउनलोड के लिए ' Get ' आदेश दिया जाता है ।

अपलोड (Uplode) :— किसी नेटवर्क में डाटा या सूचना को स्थानीय कंप्यूटर से किसी दूसरे कंप्यूटर या सर्वर आदि को भेजने की प्रक्रिया अपलोड कहलाती है । अपलोड किए गए डाटा को दूसरे कंप्यूटर पर स्थायी तौर पर संग्रहित व प्रोसेस किया जा सकता है । अपलोड के लिए ' Pur ' आदेश दिया जाता है ।

ऑफ लाइन (Off Line) :— 
जब कोई कंप्यूटर या उपकरण पॉवर सप्लाई बंद कर देने के कारण चालू हालत में न हो या किसी अन्य उपकरण से जुड़ा न हो , तो उसे ऑफ लाइन कहते हैं । वर्तमान में , जब कोई कंप्यूटर या उपकरण इंटरनेर या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़ा हुआ न हो तो उसे ऑफ लाइन कहा जाता है । 

Cloud Computing:— किसी कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट से जुड़कर इंटरनेट पर उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना क्लाउड कंप्यूटिंग कहलाता है । इसमें वर्ल्ड वाइड वेब , सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे – फेसबुक , ट्विटर , यू - ट्यूब आदि , वेब ब्राउसर ,ईमेल, Online Backup आदि सामिल होते है। 

रियल टाइम कंमुनिकेशंन(Real Time Communication) :—
दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित सुविधाओं कर तत्काल सूचनाओं का आदान प्रदान रीयल टाइम कम्युनिकेशन कहलाता है । इसे ' जीवंत संवाद ' ( Livecommunication ) भी कहा सर्वर जाता है । जैसे - टेलीफोन , मोबाइल फोन , टेलीकान्फरेंसिंग , वीडियो कान्फरेंसिंग , वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल ( Voice over Internet Protocol ) आदि द्वारा स्थापित संवाद। 

MPEG (Moving Picture Expert Group) :— 
यह वीडियो डाटा या फाइल को डिजिटल रूप में संपीडित ( com ) press ) कर नेटवर्क पर भेजने या संग्रहित करने की तकनीक है । । इसका प्रयोग कर चलचित्रों तथा सिनेमा आदि को नेटवर्क पर भेजा तथा देखा जा सकता है ।

PDF (Portable  Document) :— यह द्विविमीय डाक्यूमेंट ( 2 dimentional document ) जैसे - टेक्स्ट , चित्र , रेखाचित्र आदि को संग्रहित करने ( store ) तथा स्थानान्तरण ( transfer ) के लिए गठित एक प्रचलित मानक है । इसे Adobe System द्वारा 1993 में जारी किया गया था ।

भारत में इंटरनेट ( Internet in India ) भारत में इंटरनेट का आरंभ 80 के दशक में हुआ जब अनेंट ( ERNET - Education and Research Network ) किसी भारत के पांच प्रमुख संस्थानों को जोड़ा गया । बाद में नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ( NIC ) द्वारा देश के सभी जिला मुख्यालयों को किसी प्रशासनिक सुविधा हेतु नेटवर्क से जोड़ा गया । वर्तमान में एनआईसी । सरकारी तथा गैर - सरकारी संगठनों को अपनी सेवाएं उपलब्ध करा जनसामान्य के लिए इंटरनेट सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड ( VSNL ) द्वारा किया गया था ।

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4 टिप्पणियाँ

* ने कहा…
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* ने कहा…
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* ने कहा…
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* ने कहा…
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