𝙒𝙝𝙖𝙩 𝙞𝙨 𝙄𝙣𝙥𝙪𝙩 𝙖𝙣𝙙 𝙊𝙪𝙩𝙥𝙪𝙩𝙨 𝘿𝙚𝙫𝙞𝙘𝙚𝙨 𝙞𝙣 𝙃𝙞𝙣𝙙𝙞
कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा ( बाइनरी डिजिट -0 या 1 - ऑफ या ऑन ) समझ सकता है जबकि कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देश तथा डाटा मानवीय भाषा ( Human Language ) में होता है l
अतः कम्प्यूटर को इनपुट दिए जाने से पहले उसे मशीनी भाषा में बदलना जरूरी है ।
दूसरी तरफ , कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणाम भी मशीनी भाषा में होता है जिसे उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिए मानवीय भाषा में बदलना पड़ता है । यह कार्य इनपुट / आउटपुट डिवाइस द्वारा किया जाता । उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश इनपुट डिवाइस के जरिए देता है । इनपुट डिवाइस इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर कम्प्यूटर को देता है । की - बोर्ड तथा माउस दो लोकप्रिय इनपुट डिवाइस हैं । डाटा प्रोसेस के बाद कम्प्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम आउटपुट
डिवाइस के जरिए प्राप्त किया जाता है । आउटपुट डिवाइस मशीनी भाषा में प्राप्त परिणाम को मानवीय भाषा में बदलकर उपयोगकर्ता के लिए प्रस्तुत करता है । मानीटर , प्रिंटर तथा स्पीकर कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस हैं ।
इनपुट डिवाइस (Input Device) :—
इनपुट Device का Classification:—
इनपुट Device का Classification:—
- कीबोर्ड
- माउस
- जॉयस्टिक
- प्रकाशीय पेन
- स्कैनर
- बार कोड रीडर
- MICR(Magnetic Inck करैक्टर)
- पंच कार्ड
- OMR (Optical Mark Reader)
- डिजिट कैमरा
- mike
- इलेक्ट्रॉनिक कार्ड रीडर
( i ) मुख्य की - बोर्ड ( Main Key - Board ) या टाइपराइटर बटन ( Typewriter Key ): यह की - बोर्ड के बायें - मध्य भाग में अंग्रेजी टाइपराइटर के समान व्यवस्थित होता है । इसमें अंग्रेजी के सभी अक्षर ( A से Z ) , अंक ( 0 से 9 ) तथा कुछ विशेष चिह्न रहते हैं । इसे अक्षर बटन ( Alphabet Key ) तथा संख्यात्मक बटन ( Numeric Key ) भी कहा जाता है । इनका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने के लिए तथा वर्ड प्रासेसिंग प्रोग्राम में किया जाता है ।
मुख्य की - बोर्ड में कुछ विराम चिह्न ( Punctuation Keys ) भी होते हैं ।
( ii ) फंक्शन बटन ( Function Keys ) : ये की - बोर्ड के सबसे ऊपर F1 से F12 तक अंकित बटन होते हैं । इनका कार्य प्रयोग किए जानेवाले साफ्टवेयर पर निर्भर करता है । वास्तव में ये एक पूरे आदेश के बराबर होते हैं जिनकी हमें बार - बार आवश्यकता पड़ती है । इससे समय की बचत होती है ( ii ) संख्यात्मक की - पैड ( Numeric key - pad ) : की बोर्ड की दायीं ओर कैलकुलेटर के समान स्थित बटनों को संख्यात्मक की - पैड कहा जाता है । इनका प्रयोग संख्यात्मक डाटा को तीव्र गति से भरने के लिए किया जाता है । इनमें 0 से 9 तक , दशमलव ( . ) , युक्तियां जोड़ ( + ) , घटाव ( - ) , गुणा ( x ) तथा भाग ( 1 ) के साथ न्यूमेरिकल कम्प्यूटर लॉक ( Num Lock ) तथा इंटर ( Enter ) बटन होते हैं । ध्यान रहे कि ० से १ तक की संख्याओं के बटन मुख्य की - बोर्ड पर भी होते हैं तथा दोनों का समान परिणाम होता है ।
( iv ) कर्सर मूवमेंट बटन ( Cursor Movement Keys ) : की - बोर्ड के दायें निचले भाग में तीर के निशान वाले चार बटन होते हैं जिनसे कर्सर को दाएं ( ) , बायें ( + ) , ऊपर ( क ) तथा नीचे ( क ) ले जाया जा सकता है । इन्हें दायां , बायां , ऊपर तथा नीचे ऐरो बटन ( Right , Left , Up and DownArrow Key ) कहते हैं । इन्हें एक बार दबाने पर कर्सर एक स्थान बाएं या दाएं या एक लाइन ऊपर या नीचे हो जाता है । इसे Navigation Keys भी कहा जाता है । इसके ठीक ऊपर कर्सर कंट्रोल के लिए चार बटन और होते हैं जो इस प्रकार हैं
→ होम ( Home ) : कर्सर को लाइन के आरंभ में ले जाता है । Home तथा Cul . बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के आरंभ में चला जाता है । किसी वेब पेज को देखने के दौरान Home बटन दबाने पर कर्सर उस वेब पेज के प्रारंभ में पहुंच जाता है ।
→ इंड ( End ) : कर्सर को लाइन या पेज के अंत में ले जाता है । End तथा Cul बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के अंत में चला जाता है । किसी वेब पेज को देखने के दौरान End बटन दबाने पर कर्सर उस वेब पेज के अंत मे पहुँच जाता हैं।
पेज अप ( Page up ) : कर्सर को डाक्यूमेंट के पिछले पेज में ले जाता है ।
→ पेज डाउन ( Page Down ) : कर्सर को डाक्यूमेंट के अगले पेज पर ले जाता है ।
( v ) मोडिफायर बटन ( Modifier Keys ) : कम्प्यूटर की - बोर्ड पर बना कोई बटन या बटनों का समूह जिसके प्रयोग से किसी अन्य बटन से होने वाले कार्य में परिवर्तन हो जाता है , मोडिफायर बटन कहलाता है । मोडिफायर बटन स्वयं कोई कार्य नहीं करता , परंतु दूसरे बटनों के कार्यों में बदलाव करता है । मोडिफायर बटन का प्रयोग किसी अन्य बटन के साथ मिलकर किसी विशेष कार्य को संपादित करने के लिए किया जाता है । Shift , Alt ( Alternate ) , Ctrl ( Control ) तथा Windows Key मोडिफायर बटन हैं । इनका प्रयोग कम्प्यूटर साफ्टवेयर के अनुसार बदलता रहता है । सुविधा के लिए की - बोर्ड पर Shift , Alt , Crl तथा Windows Key के दो - दो बटन बनाये जाते हैं जो मुख्य की - बोर्ड के दोनों छोरों पर स्थित होते हैं ।
क्या आप जानते हैं ?
कम्प्यूटर यूनिट के साथ मिलकर की - बोर्ड तथा मॉनीटर वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल ( VDT - Video Display Terminal ) या मात्र टर्मिनल कहलाते हैं । टर्मिनल का अर्थ है स्थान जहां संचार पथ का अंत ( Terminate ) हो जाता है ।
( vi ) स्पेशल परपस बटन ( Special Purpose Key ) : कम्प्यूटर की - बोर्ड के कुछ बटन किसी खास उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं , जिन्हें स्पेशल परपस बटन कहा जाता है । कुछ स्पेशल परपस बटन और उनके कार्य इस प्रकार हैं
( क ) न्यूमेरिक लॉक बटन ( Num Lock Key ) - इसका प्रयोग संख्यात्मक बटनों के साथ किया जाता है । Num Lock ऑन होने पर की - बोर्ड के ऊपर दायीं ओर एक हरी बत्ती जलती है तथा Nam Lock ऑफ होने पर ये बटन नीचे लिखे कार्य संपन्न करते हैं ।
(ख) कैप्स लॉक बटन ( Caps Lock Key ) - इसका प्रयोग अंग्रेजी वर्णमाला को छोटे अक्षरों ( Small Letters / Lower Case ) या बड़े अक्षरों ( Capital Letter / Upper Case ) में लिखने के लिए किया जाता है । कैप्स लॉक बटन दबाने पर ऊपर दायीं ओर एक बत्ती जलती है तथा की - बोर्ड के संबंधित बटनों द्वारा वर्णमाला को बड़े अक्षरों में लिखा जाता है । कैप्स लॉक बटन दूसरी बार दबाने पर बत्ती बुझ जाती है तथा वर्णमाला के छोटे अक्षरों को टाइप किया!
( ग ) शिफ्ट बटन ( Shift Key ) : इसे संयोजन बटन ( Combination Key ) भी कहते हैं क्योंकि इसका उपयोग किसी लॉक और बटन के साथ किया जाता है । किसी बटन पर दो चिह्न रहने पर पुनः शिफ्ट बटन के साथ उस बटन को दबाने पर ऊपर वाला चिह्न टाइप होता है । उस बटन को अकेले दबाने पर नीचे लिखा चिह्न आता है । संग्रहित अगर कैप्स लॉक बटन ऑन है , तो शिफ्ट बटन के साथ बटन वर्णमाला के बटन दबाने पर छोटे अक्षर टाइप होते हैं । अगर कैप्स लॉक बटन ऑफ है तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर बड़े अक्षर टाइप होते हैं ।
( घ ) टैब बटन ( Tab Key ) - यह कर्सर को एक निशित दूरी , जो रूलर ( Ruler ) द्वारा तय की जा सकती है , तक कुदाते हुए ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है । किसी चार्ट , टेबल या एक्सेल प्रोग्राम में एक खाने से दूसरे खाने तक जाने के लिए भी टैब बटन का प्रयोग किया जाता है । इसके द्वारा डायलॉग बॉक्स में उपलब्ध विकल्पों में से किस एक का चयन भी किया जा सकता है ।
( ङ ) रिटर्न ( Return ) या इन्टर ( Enter ) बटन - कम्प्यूटर को दिए गए निर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए तथा स्क्रीन पर टाइप डाटा को कम्प्यूटर में भेजने के लिए इंटर बटन का प्रयोग किया जाता है । वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम में नया पैराग्राफ या लाइन आरंभ करने का कार्य भी इससे किया जाता है । कभी - कभी , की - बोर्ड में Enter बटन को पहचान के लिए एक विशेष आकार प्रदान किया जाता है ।
( च ) एस्केप बटन ( ESC - Escape Key ) - इस बटन का लिए होता है ।
( ज ) डिलीट बटन ( Del - Delete Key ) - इसका प्रयोग कर्सर के ठीक दायीं ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक - एक कर मिटाने में किया जाता है । इससे कर्सर के बाद के सभी डाटा एक स्थान बायीं ओर खिसक जाते हैं । इससे चयनित शब्द , लाइन , पैराग्राफ , पेज या फाइल को एक साथ भी मिटाया जा सकता है ।
( झ ) प्रिंट स्क्रीन बटन ( Print Screen Key ) - इससे स्क्रीन पर जो कुछ भी दिख रहा है , उसे प्रिंट किया जा सकता है । प्रिंट स्क्रीन बटन कम्प्यूटर स्क्रीन का फोटो क्लिप बोर्ड में संग्रहित कर लेता है जिसे बाद में किसी अन्य प्रोग्राम में Paste या Edit किया जा सकता है ।
( ज ) स्क्रॉल लॉक बटन ( Scroll Lock Key ) - इस बटन को दबाने से कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ रही सूचना एक स्थान पर रुक जाती है । सूचना को फिर से शुरू करने के लिए यही बटन दुबारा दबाना पड़ता है ।
( ट ) पॉज बटन ( Pause Key ) - इसका कार्य स्क्रॉल लॉक बटन जैसा ही है । किसी भी दूसरे बटन को दबाने पर सूचना पुनः आनी शुरू हो जाती है ।
( ठ ) इन्सर्ट बटन ( Insert Key ) - इसका प्रयोग पहले से संग्रहित डाटा पर Overwrite करने के लिए किया जाता है । इन्सर्ट बटन दबाकर कोई टाइपिंग बटन दबाने पर कर्सर के ठीक बाद स्थित अंक या अक्षर मिट जाता है तथा उसके स्थान पर नया टेक्स्ट टाइप हो जाता है ।
( ड ) कंट्रोल + आल्ट + डेल ( Ctrl + Alt + Del Control + Alternate + Delete Key ) - इन तीनों बटनों को एक साथ दबाने पर कम्प्यूटर में चल रहे प्रोग्राम बंद हो जाते हैं तथा कम्प्यूटर फिर से स्वयं शुरू वाली अवस्था में पहुंच जाता है । ऐसा अक्सर तब किया जाता है जब कम्प्यूटर हैंग ( Hang ) हो जाता है अर्थात् किसी अन्य बटन के आदेश का पालन नहीं करता । इसे रिसेट ( Reset ) भी कहते हैं ।
( ढ ) स्टिक बटन ( Stick Keys ) - वे उपयोगकर्ता जो दो या अधिक बटनों को एक साथ दबाने में असुविधा महसूस करते हैं , उनकी सुविधा के लिए स्टिक बटन का प्रयोग किया जाता है । इसमें 3441af Modifier Keys ( Ctrl , Shift , Alt ) T Windows Try को लगातार दो बार दबा कर तब तक सक्रिय रख सकता हैजब तक दूसरा बटन न दबा दिया जाए । Stick Key सुविधा को चालू करने के लिए Shift बटन को 5 बार लगातार दबाते हैं । इसे बंद करने के लिए दोनों Shift बटन एक साथ दबाते हैं ।
क्या आप जानते हैं ?
वर्चुअल की - बोर्ड ( Virtual Key Board ) : वर्चुअल का अर्थ होता है - आभाषी । वर्चुअल की - बोर्ड साफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा तैयार किया जाता है जिसमें की - बोर्ड का प्रतिबिंब किसी सतह पर उतारा ( Prejection ) जाता है । सतह पर बने की - बोर्ड के आभासी चित्र में किसी बटन को छूकर कम्प्यूटर में डाटा या निर्देश डाला जा सकता है । वर्चुअल की - बोर्ड में कोई मशीनी पुर्जा नहीं होता । अतः इसमें टूट - फूट की संभावना नहीं होती तथा साफ - सफाई की भी जरूरत नहीं होती ।
ऑन स्क्रीन की - बोर्ड ( On Screen Key Board ) : यह एक अप्लिकेशन साफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसमें की - बोर्ड कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही दिखाई देता है । ऑन स्क्रीन की - बोर्ड को माउस या टच स्क्रीन या किसी अन्य Pointing device की सहायता से प्रयोग में जाता लाया जाता है । यह वर्चुअल की - बोर्ड का ही एक रूप है । आजकल , टैबलेट तथा स्मार्टफोन में डाटा डालने के लिए ऑन स्क्रीन की - बोर्ड स्थित का प्रचलन बढ़ रहा है ।
माउस ( Mouse )
यह एक इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस ( Point ing device ) भी कहा जाता है । ग्राफिकल यूसर इंटरफेस ( GUI Graphical User Interface ) प्रयोग से इसका महत्त्व बढ़ गया है । माउस का आविष्कार डॉ . डगलस इंजेलबार्ट ( Dr. Dou glas Engelbart ) ने 1964 में किया था ।
किसी माउस के तीन बटन इस प्रकार होते हैं :
बायां बटन ( Left Button ) :
दायां बटन ( Right Button ) :
यह माउस के दायीं ओर बोर्ड स्थित होता है । यह साफ्टवेयर के अनुसार कुछ विशेष कार्यों जैसे डायलॉग बॉक्स या मेन्यू बाक्स खोलने , प्रोपर्टीज देखने आदि के लिए किया जाता है ।
Point मध्य बटन ( Centre Button ) :
इसे स्क्रॉल बटन ( Scroll Button ) भी कहा जाता है । इसका प्रयोग डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे करने के लिए किया जाता है । आधुनिक माउस में बीच वाले बटन को एक हील ( Wheel ) में बदल दिया जाता है , जिसे घुमाकर डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे ( Scroll ) किया जाता है । जाता है ।
माउस के कार्य ( Functions of Mouse ) : माउस
( 1 ) प्यांइट और सेलेक्ट ( Point and Select ) करना - माउस प्वाइंटर को किसी आइक्नू ( icon ) के ऊपर ले जाने से यदि माउस प्वाइंटर हाथ के आकार का हो जाए , तो इसे प्वाइंट कहा स्क्रीन पर प्रदर्शित हो सकता है । जाता है । साथ ही प्वाइंट किए गए आम्जेक्ट का संक्षिप्त विवरण भी माउस माउस का प्रयोग किसी icon , टेक्स्ट या इमेज को सेलेक्ट रखकर या इमेज के रंग में तात्कालिक परिवर्तन दिखाई पड़ता है । सेलेक्ट करने के लिए भी किया जाता है । सेलेक्ट किए गए आइकन , टेक्स्ट इसमें किए गए Object को हम Copy , Cut या Delete कर सकते हैं ।
( vi ) माउस का प्रयोग पेंट ( Paint ) प्रोग्राम में कलम या ब्रश की तरह भी किया जाता है ।
ट्रैक बाल ( Track Rally
ज्यास्टिक ( Joystick ) यह एक प्वाइटिंग डिवाइस है जो ट्रैकबाल की तरह ही कार्य करता है । बॉल के साथ एक छड़ी लगा दी जाती है ताकि बॉल को आसानी से घुमाया जा सके । छड़ी के ऊपर एक क्लिक बटन होता है जिसके द्वारा किसी आइकन या टेक्स्ट आदि का पवन किया जाता है । इसका उपयोग पीडियो गेम , सिमुलेटर प्रशिक्षण ( Training Simulator ) , रोबोट नियंत्रण ( Rolor Control ) आदि में किया जाता है । यह वीडियो गेम खेलना आसान और मजेदार बनाता है ।
प्रकाशीय पेन ( Light Pen )
स्कैनर ( Scanner )
यह एकइनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कर टेक्स्ट , तस्वीर और रेखाचित्र को डिजिटल दि E ( Digital Image ) में परिवर्तित कर मेमोरी में सुरक्षित रखा जा सकता है । डिजिटल चित्र पर कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग भी किया जा सकता है । स्कैनर कागज पर बने 10. सम्यूमेंट पर प्रकाश पुंज ( Light Beam ) डालता है तथा परावर्तित प्रकाश की सीता के आधार पर डाक्यूमेंट को डिजिटल डाटा में बदलता है । स्कैन किए गए शाक्यूमेंट को Bie mup lmage के रूप विशेष में कम्प्यूटर मेमोरी में स्टोर किया जाता है । इसका प्रयोग कागजी दस्तावेजों को इलेक्ट्रानिक रूप में लंबे समय तक संरक्षित रखने में किया जा सकता है । जमत पड़ने पर इस डाक्यूमेट को EM और Print भी किया जा सकता है ।
बार कोड रीडर
कोड बार कोड रीडर लेजर बीम ( Laser beam ) का प्रयोग करता है तथा परावर्तित किरणों के द्वारा डाटा को कम्प्यूटर में डालता है । आजकल बारकोड का प्रयोग बैंक व पोस्ट ऑफिस में भी किया जा रहा है ।
क्या आप जानते हैं ?
MICR - Magnetic Ink Character Recognition
इसका प्रयोग विशेष चुम्बकीय स्याही ( आयरन ऑक्साइड ) से विशेष तरीके से लिखे अक्षरों को कम्प्यूटर के जरिये पढ़ने के लिए किया जाता है । इसका प्रयोग बैंकों द्वारा चेक / ड्राफ्ट में किया जा रहा है । इससे कम समय और बड़ी मात्रा में चेक / ड्राफ्ट का भुगतान करने और नकल रोकने में मदद मिलेगी । माइकर कोड में 0 से 9 तक संख्याओं और चार चिह्नों ( कुल 14 कैरेक्टर ) का प्रयोग किया जाता है
आप्टिकल मार्करीडर ( Optical MarkReader )
ऑप्टिकल मार्क रीडर ( OMR ) एक इनपुट डिवाइस है जो विशेष प्रकार के संकेतों / चिह्नों को पढ़कर उसे कम्प्यूटर द्वारा उपयोग आकार के योग्य बनाता है । आजकल वस्तुनिष्ठ उत्तर पुस्तिकाओं ( Mul tiple Choice Question ) को जांचने के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है । इसमें उच्च तीव्रता वाले प्रकाशीय किरणों को कागज पर डाला जाता है तथा पेन या पेंसिल के निशान से परावर्तित किरणों का अध्ययन कर सही उत्तर का पता लगाया जाता है ।
वेब कैमरा ( Web Camera )
यह एक सामान्य डिजिटल कैमरे की तरह होता है जिसे कम्प्यूटर से जोड़कर इनपुट डिवाइस की तरह प्रयोग किया जाता है । इसमें उपस्थित फोटो डायोड ( Photo di श्रेय ode ) प्रकाशीय सूचना को विद्युत तरंगों में बदल कर कम्प्यूटर को देते हैं । इसे वेब कैम ( Web Cam ) भी कहा जाता है । वेब कैमरा का प्रयोग वीडियो कान्फरेंसिंग , वीडियो चैटिंग , वेब ब्रॉडकास्ट ( Web Broad Cast ) आदि में किया जाता है ।
टच स्क्रीन ( Touch Screen )
यह एक आसान इनपुट डिवाइस है । कम्प्यूटर स्क्रीन पर उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को छूकर निर्देश दिये जा सकते हैं तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कराया जा सकता है । टच स्क्रीन में इंफ्रारेड ( अवरक्त ) किरणें स्क्रीन की सतह पर घूमती रहती हैं ।
( Mike ) माइक या माइक्रोफोन ( Microphone )
स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम ( Speech RecognitionSystem )
यह एक इनपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से बोलकर डाटा को कम्प्यूटर में डाला जा सकता है । स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम में मनुष्य द्वारा बोले गए शब्दों को पहचान कर उन्हें टेक्स्ट में परिवर्तित किया जाता है तथा उस टेक्स्ट को कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित भी किया जा सकता है । इसका उपयोग मौखिक आदेश देकर कम्प्यूटर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में भी किया जा सकता है । हालांकि वर्तमान में इसका प्रयोग सीमित है , पर भविष्य में इसके विकास की संभावनाएं विद्यमान हैं ।
ऑप्टिकटल character रियोगिनाशन (Optical Character Recognition)
स्कैनर द्वारा स्कैन किया गया डाक्यूमेंट Bitmap image के रूप में होता है । इसे हम चित्र के रूप में edit कर सकते हैं , पर टेक्स्ट के रूप में नहीं । OCR स्कैन किए गए टेक्स्ट डाक्यूमेंट की पहचान कर उसे वर्ड प्रोसेसिंग टेक्स्ट में बदलता है ताकि उसे कम्प्यूटर में edit किया जा सके । इसके लिए Optical Character Reader तथा OCR Software का प्रयोग किया जाता है ।
इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर ( Electronic Card Reader )
इलेक्ट्रानिक कार्ड प्लास्टिक का बना एक छोटा कार्ड है जिसमें एक चिप या चुंबकीय पट्टी ( Magnetic Strip ) लगा होता है । इस चिप या चुंबकीय पट्टी में डाटा स्टोर किया जाता है जिसे कम्प्यूटर से प्रिंटर जुड़े इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर की सहायता से पढ़ा व प्रोसेस किया जा सकता है । बैंकों में AIM के साथ इलेक्ट्रानिक पाई का ही प्रयोग किया जाता है ।
डिजिटाइजिंग टैबलेट ( Digituring Tablets )
आउटपुट डिवाइस ( Output Devices )
सॉफ्ट कॉपी तथा हार्ड कॉपी आउटपुट ( Soft Copy and Hard Copy Output ) :
( क ) सॉफ्ट कापी आउटपुट ( Soft Copy Output
( ii ) हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output ) : यह कागज पर प्रस्तुत स्थायी परिणाम है जिसे हम टू सकते हैं । हार्ड कॉपी आउटपुट को कम्प्यूटर तथा साफ्टवेयर के बिना भी देखा व पड़ा जा सकता है । इसमें परिवर्तन करना भी आसान नहीं होता । प्रिटर या प्लॉटर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट हार्ड कॉपी आउटपुट के उदाहरण है ।
Classification of Outputs Device's
मॉनीटर ( Monitor ) या वीडीयू ( VDU - Visual Display Unit )
यह साफ्ट कॉपी ( Soft Copy ) प्रदान करने वाला लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो डाटा और सूचनाओं को वीडियो आउटपुट ( Video Output ) के रूप में प्रदर्शित करता है । कम्प्यूटर पर किये जाने वाले प्रत्येक कार्य की सूचना देकर यह कम्प्यूटर और उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है ।
क्या आप जानते हैं ?
( LASER - Light Amplification by Stimu lated Emission of Radiation ) एक उच्च क्षमता का प्रकाशीय बीम है । कम्प्यूटर में लेजर बीम का उपयोग आप्टिकल डिस्क , बार कोड रीडर , लेजर प्रिंटर , फाइबर आप्टिक संचार आदि में किया जा रहा है । लेजर का आविष्कार थियोडर मेमैन ( Theodore Maiman ) ने 1960 में किया था ।मॉनीटर का वर्गीकरण ( Classification of Monitor ( 1 ) मोनोक्रोम मॉनीटर ( Monochrome Monitor ) ( 2) ग्रे स्केल मॉनीटर ( Gray Scale Monitor ) ( 3 ) कलर मॉनीटर ( Colour Monitor ) : 1. कैथोड किरण ट्यूब ( CRT - Cathode ray tube ) मॉनीटर- यह एक बड़ा ट्यूब होता है जिसमें उच्च वोल्टेज द्वारा इलेक्ट्रान बीम को नियंत्रित कर डिसप्ले प्राप्त किया जाता है । यह टीवी स्क्रीन जैसा होता है ।
2.लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले ( LCD - Liquid Crystal display ) - इसमें दो परतों के बीच तरल क्रिस्टल भरा रहता है जिसे द्वारा वोल्टेज द्वारा प्रभावित कर डिस्प्ले प्राप्त किया जाता है । इसका प्रयोग रेसपास मुख्यतः लैपटॉप , टैबलेट , स्मार्टफोन आदि में होता है । यह पतला , हल्का और कम विद्युत खपत करने वाला होता है । इलेक्ट्रानिक घड़ियों , कलकुलेटर आदि में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है ।3.एलईडी मॉनीटर ( LED Monitor ) : इस प्रकार के भॉनीटर में OLED ( Organic Light Ermitting Diode ) का प्रयोग किया जाता है जो डिजिटल डिस्प्ले प्रदर्शित करती है । इसका रिजोल्यूशन तथा रिफ्रेश रेट बेहतर होता है । यह LCD मॉनीटर से भी पतला और हल्का होता है ।
मॉनीटर की गुणवत्ता ( Quality of Monitor ) : किसी मॉनीटर की गुणवत्ता को निम्नलिखित आधारों पर मापा जाता है -
( i ) डॉट पिच ( Dot Pitch ) : मॉनीटर पर दिखाई जाने वाली हर सूचना या ग्राफ छोटे - छोटे चमकीले बिंदुओं से बनी होती है जिसे डॉट या पिक्सेल ( Dot or Pixel ) कहते हैं । ये डॉट जितने नजदीक स्थित होंगे चित्र उतना ही अच्छा होगा । इसे डॉट पर इंच ( DPI Dots Per Inch ) में मापा जाता है जो एक इंच लम्बाई में डॉट पिक्सेल की कुल संख्या बताता है ।
( ii ) रिजोल्यूशन ( Resolution ) : यह मॉनीटर स्क्रीन उर्ध्वाधर तथा क्षैतिज ( Vertical and Horizontal ) दिशा में स्थित पिक्सेल की कुल संख्या तथा उसकी गुणवत्ता को दर्शाता है । रिजोल्यूशन अधिक होने से चित्र साफ ( Clear ) तथा चमकीला ( Sharp ) दिखता है । 15 इंच के SVGA मॉनीटर का रिजोल्यूशन 1024x768 पिक्सेल हो सकता है ।
( iii ) रिफ्रेश रेट ( Refresh Rate ) : रिफ्रेश रेट यह बतलाता है कि मॉनीटर एक सेकेण्ड में कितनी बार सूचना को रिफ्रेश करता है । इसे हर्ट्स ( Hz ) में मापा जाता है । रिफ्रेश रेट अधिक होने मॉनीटर की गुणवत्ता बढ़ती है ।
यह एक विद्युत यांत्रिक युक्ति ( Electromechanical device ) , है जो डाटा और अनुदेशों को स्वीकार कर उन्हें बाइनरी रूप में जिसे परिवर्तित कर कम्प्यूटर के प्रयोग लायक बनाता है । इस प्रकार , वे पड़ता यंत्र जिनके द्वारा डाटा व अनुदेशों को कम्प्यूटर में डाला जाता है , इनपुट डिवाइस कहलाते हैं । कम्प्यूटर इनपुट डाटा टेक्स्ट ( Text ) , आवाज ( Sound ) , चित्र ( Image ) , चलचित्र ( Video ) या साफ्टवेयर प्रोग्राम के रूप में हो सकता हैl
कुछ प्रमुख् इनपुट device के नाम
की - बोर्ड एक प्रचलित इलेक्ट्रोमेकैनिकल इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने तथा कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है । की - बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है । की बोर्ड का प्रयोग माउस की तरह प्वाइंटिंग डिवाइस के रूप में भी किया जा सकता है । आजकल 104 बटनों वाले ' QWERTY ' की - बोर्ड का प्रयोग प्रचलन में है । इसमें बटनों की व्यवस्था प्रचलित टाइपराइटर बटनों की तरह होती है जिसमें अंग्रजी के सभी अक्षरों को तीन पंक्तियों में व्यवस्थित किया गया होता है । इसे ' QWERTY ' की - बोर्ड इसलिए कहा जाता है क्योंकि अक्षरों के सबसे ऊपर वाली पंक्ति के बायीं ओर के 6 बटन Q , W , E , R , T तथा Y के क्रम में होते हैं । कम्प्यूटर की बोर्ड के कुछ बटन ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रयुक्त साफ्टवेयर के अनुसार कम्प्यूटर को निर्धारित निर्देश देने के लिए प्रयोग किया जाता है ।की - बोर्ड को पीएस -2 ( Plug Station - 2 ) पोर्ट द्वारा सीपीयू से जोड़ा जाता है । आजकल , की - बोर्ड को यूएसबी ( USB ) पोर्ट द्वारा भी कम्प्यूटर से जोड़ा जा रहा है । वायरलेस की - बोर्ड सिस्टम से भौतिक संपर्क बनाए बिना रेडियो तरंगों पर कार्य करता है तथा इसे ब्लूटूथ ( Bluetooth ) द्वारा कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है ।
कार्य और स्थिति के अनुसार की - बोर्ड को निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं —
न्यूमेरिक की - पैड के कुछ बटन दो कार्य करते हैं । इन बटनों का प्रयोग की - बोर्ड द्वारा कर्सर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए माउस के विकल्प के रूप में भी किया जाता है । अतः इन्हें कर्सर कंट्रोल बटन ( Curson Control Key ) भी कहा
जाता है । इनका प्रयोग कम्प्यूटर गेम को नियंत्रित करने में भी किया जाता है । यदि Num Lock बटन ऑन है तो Numeric Key - Pad का प्रयोग संख्याओं को टाइप करने के लिए होता है । यदि Num Lock बटन ऑफ है तो इन बटनों का प्रयोग arrow key तथा End , Home Page up . Page Down , Insert 779 Delete VTT लिए किया जाता है | Num Lock बटन ऑफ होने पर इनसे संख्याएं टाइप नहीं की जा सकतीं । किसी - किसी की - बोर्ड में Num Lock ऑन होने पर एक हरी बत्ती भी जलती है ।
( ण ) स्पेस बार ( Space Bar ) : यह की - बोर्ड में सबसे निचली पंक्ति के बीच में स्थित सबसे लंबा बटन है । सामान्यतः इसका प्रयोग टाइप करते समय अक्षरों तथा अंकों के बीच खाली स्थान ( Space ) डालने के लिए किया जाता है । इसे इतना लंबा इसलिए बनाया जाता है ताकि दोनों हाथों से टाइप करते समय किसी भी हाथ के अंगूठे से इसका प्रयोग किया जा सके । Modifier Key के साथ इसका प्रयोग साफ्टवेयर के अनुसार अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है । वीडियो गेम में भी इसे एक मुख्य बटन के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
कर्सर ( Cursor ) कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित हैं होने वाली सीधी खड़ी रेखा ( Vertical Line ) है , जो स्क्रीन पर आती जाती ( Blink ) रहती है । की - बोर्ड द्वारा टाइप होने वाला | अगला कैरेक्टर कर्सर के स्थान पर ही प्रदर्शित होता है । कर्सर को माउस द्वारा या की - बोर्ड पर स्थित कर्सर मूवमेंट बटन द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है
माउस की सहायता से हम कम्प्यूटर स्क्रीन पर कर्सर या किसी ऑब्जेक्ट ( Object ) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं ।
माउस का प्रयोग किसी Command , Dialog Box या Icon को सेलेक्ट करने या उससे संबंधित कार्य को क्रियान्वित करने के लिए भी किया जाता है । माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बने PS - 2 पोर्ट या USB ( Universal Serial Bus ) पोर्ट से जोड़ा जाता है ।
माउस में दो या तीन बटन हो सकते हैं
जिन्हें दायां , बायां और मध्य बटन ( Right , Left and Centre Button ) कहते हैं ।
माउस वर्चुअल बटन वास्तव में माइक्रोस्विच है जिन्हें दबाकर कम्प्यूटर को वांछित प्रोग्राम संदेश प्रेषित किए जाते हैं ।
इसके नीचे एक रबर बॉल होता है ।
किसी समतल सतह ( माउस पैड ) पर माउस को हिलाने पर बॉल घूमता है तथा उसकी गति और दिशा मानीटर पर माउस प्याइंटर ( ) की गति और दिशा में परिवर्तित हो जाती है । ऑपरेटिंग सिस्टम में माउस प्रॉपर्टीज में परिवर्तन कर बायें व दायें बटन के कार्यों में अदला - बदली की जा सकती है । ऐसा बायें हाथ से काम करने वालों की सुविधा के लिए किया जाता है ।
यह माउस के बायीं ओर स्थित टच कम्प्यूटर होता है । इससे क्लिक , डबल क्लिक , प्वाइंट या ड्रैग का काम लिया में आजकल
माउस का प्रयोग किसी Command , Dialog Box या Icon को सेलेक्ट करने या उससे संबंधित कार्य को क्रियान्वित करने के लिए भी किया जाता है । माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बने PS - 2 पोर्ट या USB ( Universal Serial Bus ) पोर्ट से जोड़ा जाता है ।
माउस में दो या तीन बटन हो सकते हैं
जिन्हें दायां , बायां और मध्य बटन ( Right , Left and Centre Button ) कहते हैं ।
माउस वर्चुअल बटन वास्तव में माइक्रोस्विच है जिन्हें दबाकर कम्प्यूटर को वांछित प्रोग्राम संदेश प्रेषित किए जाते हैं ।
इसके नीचे एक रबर बॉल होता है ।
किसी समतल सतह ( माउस पैड ) पर माउस को हिलाने पर बॉल घूमता है तथा उसकी गति और दिशा मानीटर पर माउस प्याइंटर ( ) की गति और दिशा में परिवर्तित हो जाती है । ऑपरेटिंग सिस्टम में माउस प्रॉपर्टीज में परिवर्तन कर बायें व दायें बटन के कार्यों में अदला - बदली की जा सकती है । ऐसा बायें हाथ से काम करने वालों की सुविधा के लिए किया जाता है ।
यह माउस के बायीं ओर स्थित टच कम्प्यूटर होता है । इससे क्लिक , डबल क्लिक , प्वाइंट या ड्रैग का काम लिया में आजकल
( ii ) क्लिक ( Click ) : इसे Single Click या Left Click भी कहा जाता है । माउस के बायें बटन को एक बार दबाकर छोड़ना क्लिक कहलाता है । इसका प्रयोग किसी Objecr या icon को प्वाइंट कर उसे सेलेक्ट ( Select ) करने के लिए किया जाता है । ( iii ) डबल क्लिक ( Double Click ) : माउस के बायें बटन को जल्दी - जल्दी दो बार दबा कर छोड़ना डबल क्लिक कहलाता है । डबल क्लिक का प्रयोग किसी फाइल या फोल्डर को खोलने या किसी प्रोग्राम को Activate या Start करने के लिए किया जाता है ।
( iv ) राइट क्लिक ( Right Click ) : माउस के दायें बटन को एक बार दबाकर छोड़ना राइट क्लिक कहलाता है । राइट क्लिक कर्सर की स्थिति के अनुसार उस Object से संबंधित ड्राप डाउन मेन्यू ( Dropdown menu ) प्रदर्शित करता है । मेन्यू संबंधित विकल्पों का समूह है जिसमें से विकल्पों का चयन लेफ्ट क्लिक द्वारा किया जा सकता है ।
( v ) बैग और ड्राप ( Dragand Drop ) : किसी आब्जेक्ट के आइकन पर माउस प्वाइंटर ले जाकर Left बटन दबाना तथा लेफ्ट बटन दबाये रखकर माउस को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना डैग ( Drag ) कहलाता है । इससे आब्जेक्ट का आइकन भी साथ - साथ चलता है । अब माउस प्वाइंटर को वांछित स्थान या फाइल आइकन पर ले जाकर लेफ्ट बटन छोड़ देना ड्राप ( Drop ) कहलाता है । माउस के इस ईग और ड्रॉप विकल्प का प्रयोग किमी आइकन , चित्र , अक्षर , फाइल या फोल्डर को कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने या कम्प्यूटर मेमोरी में एक फोल्डर से दूसरे फोल्डर तक पहुंचाने के लिए किया जाता है ।
रोचक तथ्य
Double Click में यदि दो Click के बीच का अंतर कम्प्यूटर पर सेट किए गए समयांतराल ( Time Period ) से ज्यादा है , तो कम्प्यूटर इसे दो Single Click की तरह पढ़ता है । कम्प्यूटर साफ्टवेयर द्वारा दो Single Click के बीच के समयान्तराल को कम या ज्यादा किया जा सकता है ।
ऑप्टिकल माउस ( Optical Mouse )
ऑप्टिकल माउस प्रकाश तरंगों के परावर्तन के आधार पर कार्य करता है । इसमें सतह पर घूमने वाला रबर बोल नहीं होता । LED ( Light Emitting Diode ) या लेसर डायोड द्वारा उत्पन्न प्रकाश तरंगे सतह से परावर्तित होती हैं जिन्हें फोटो डायोड सेंसर द्वारा पढ़ा जाता है । ऑप्टिकल माउस के लिए किसी विशेष सतह या माउस पैड की जरूरत नहीं होती । इसे किसी भी अपारदर्शी सतह पर रखकर प्रयोग किया जा सकता है । मैकेनिकल बॉल न होने के कारण इसमें टूट - फूट की संभावना कम होती है ।
बेतार की - बोर्ड / माउस ( Wireless or Chordless Key - Board / Mouse ) सामान्यतः की - बोर्ड तथा माउस को तार के जरिए कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है । परंतु वर्तमान में बेतार की - बोर्ड तथा माउस का प्रचलन बढ़ रहा है । इसमें कम्प्यूटर के साथ सूचनाओं का अदान - प्रदान रेडियो तरंगों ( Radio requency ) या Infrared rays या Bluetooth / Wi - F के जरिए होता है । बेतार की - बोर्ड या माउस में एक ट्रांसमीटर तथा एक रिसीवर ( Receiver ) होता है । ट्रांसमीटर की - बोर्ड या माउस के भीतर होता है ट्रांसमीटर की - बोर्ड या माउस द्वारा उत्पन्न संकेतों को रेडियो तरंगों में जबकि रिसीवर USB पोर्ट द्वारा कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जुड़ा होता है । बदलकर रिसीवर तक भेजता है , जो उसे पुनः संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को दे देता है । बेतार की - बोर्ड या माउस 2.4GHz आवृत्ति की तरंगों पर काम करता है । इसे की - बोर्ड या माउस में लगे बैटरी द्वारा ऊर्जा दी जाती है ।
यह माउस का ही प्रारूप है जिसमें रबर बाल नीचे न होकर ऊपर होता है । इसमें माउस को अपने स्थान से हटाये बिना रबर बाल को पुमाकर माउस प्वांइटर के स्थान में परिवर्तन किया जाता है । इसका प्रयोग मुख्यतः कैड ( CAD - Computer Aided Design ) तथा कैम ( CAM - Computer Aided Manufacturing ) में किया जाता है । ट्रैक बॉल का प्रयोग लैपटॉप कम्प्यूटर में माउस के स्थान पर किया जाता है ।
यह पेन के आकार का माइटिंग डिवाइस है जिसका प्रयोग इनपुट डिवाइस की तरह किया जाता है । इसका प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर
स्केनर मुख्यतः दो प्रकार का होता है—
1- फ्लैटहेल्ड स्कैनर :— इसका प्रयोग फोटोकॉप्यार की तरह होता है
2- हैंड हेल्ड स्कैनर
बार कोड विभिन्न चौड़ाई की उर्ध्वाधर ( Vertical ) काली पट्टियां होती हैं । उनकी चौड़ाई और दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से उनमें सूचनाएं निहित रहती हैं । इन सूचनाओं को बार कोड रीडर की सहायता से कम्प्यूटर में डालकर उत्पाद , वस्तु के प्रकार आदि का पता लगाया जा सकता है । बार कोड का आविष्कार 1940 में जोसेफ वुडलैंड तथा बर्नाड सिल्वर ने मिलकर किया था । पर इसे प्रचारित करने का श्रेय ऐलन हैबर मैन को जाता है । भारत में वर्ष 1998 में नेशनल इन्फार्मेशन इंडस्ट्रियल वर्क फोर्स ने सभी उत्पादों पर बार कोड का प्रयोग जरूरी कर दिया है ।
𝘿𝙤 𝙮𝙤𝙪 𝙠𝙣𝙤𝙬
यूपीसी ( UPC - Universal Product Code ) जिसका प्रयोग अमेरिका के सुपर स्टोर में उत्पादों पर नजर रखने के लिए किया | गया , सर्वाधिक प्रयोग में आने वाला बार कोड है । इसमें 10 लाइने होती हैं जिसमें प्रथम 5 उत्पादक तथा आपूर्तिकर्ता तथा अंतिम 5 उत्पाद की जानकारी देते हैं ।
1- फ्लैटहेल्ड स्कैनर :— इसका प्रयोग फोटोकॉप्यार की तरह होता है
2- हैंड हेल्ड स्कैनर
बार कोड विभिन्न चौड़ाई की उर्ध्वाधर ( Vertical ) काली पट्टियां होती हैं । उनकी चौड़ाई और दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से उनमें सूचनाएं निहित रहती हैं । इन सूचनाओं को बार कोड रीडर की सहायता से कम्प्यूटर में डालकर उत्पाद , वस्तु के प्रकार आदि का पता लगाया जा सकता है । बार कोड का आविष्कार 1940 में जोसेफ वुडलैंड तथा बर्नाड सिल्वर ने मिलकर किया था । पर इसे प्रचारित करने का श्रेय ऐलन हैबर मैन को जाता है । भारत में वर्ष 1998 में नेशनल इन्फार्मेशन इंडस्ट्रियल वर्क फोर्स ने सभी उत्पादों पर बार कोड का प्रयोग जरूरी कर दिया है ।
𝘿𝙤 𝙮𝙤𝙪 𝙠𝙣𝙤𝙬
यूपीसी ( UPC - Universal Product Code ) जिसका प्रयोग अमेरिका के सुपर स्टोर में उत्पादों पर नजर रखने के लिए किया | गया , सर्वाधिक प्रयोग में आने वाला बार कोड है । इसमें 10 लाइने होती हैं जिसमें प्रथम 5 उत्पादक तथा आपूर्तिकर्ता तथा अंतिम 5 उत्पाद की जानकारी देते हैं ।
आउटपुट device—. यह एक विद्युत यांत्रिक युक्ति जो कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस किया गया के बाइनरी डाटा लेकर उसे उपयोगकर्ता के लिए उपयुक्त डाटा में बदलकर प्रस्तुत करता है , आउटपुट डिवाइस कहलाता है । आउटपुट ) डिवाइस द्वारा हम दादा या परिणाम को देख सकते हैं , या उसका प्रिंट ले सकते हैं ।
कम्प्यूटर आउटपुट को दो भागों में बांटा जा सकता है-
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट तथा हार्ड कॉपी आउटपुट ।
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट तथा हार्ड कॉपी आउटपुट ।
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट :— एक अस्थीय आउटपुट है जिसे हम छू नहीं सकते । सॉफ्ट कॉपी आउटपुट डिजिटल रूप में होता है जिसे हम कम्प्यूटर तथा उचित सॉफ्टवेयर के बिना पढ़ व देख नहीं सकते । सॉफ्ट कॉपी आउटपुट को इलेक्ट्रानिक मेमोरी में स्टोर किया जाता है तथा नेटवर्क पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है ।
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट में परिवर्तन करना आसान होता है । इसमें कागज तथा स्याही की किया बचत होती है । मॉनीटर तथा स्पीकर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट सॉफ्ट कॉपी आउटपुट के उदाहरण है
हार्ड कॉपी आउटपुट:— हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output ) : यह कागज पर प्रस्तुत स्थायी परिणाम है जिसे हम छू सकते हैं । हार्ड कम्प्यूटर तथा साफ्टवेयर के बिना भी देखा व को पढ़ा जा सकता है । इसमें परिवर्तन करना भी आसान नहीं होता । प्रिंटर या प्लॉटर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट हार्ड कॉपी आउटपुट कॉपी आउटपुट उदाहरण हैं ।
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट में परिवर्तन करना आसान होता है । इसमें कागज तथा स्याही की किया बचत होती है । मॉनीटर तथा स्पीकर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट सॉफ्ट कॉपी आउटपुट के उदाहरण है
हार्ड कॉपी आउटपुट:— हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output ) : यह कागज पर प्रस्तुत स्थायी परिणाम है जिसे हम छू सकते हैं । हार्ड कम्प्यूटर तथा साफ्टवेयर के बिना भी देखा व को पढ़ा जा सकता है । इसमें परिवर्तन करना भी आसान नहीं होता । प्रिंटर या प्लॉटर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट हार्ड कॉपी आउटपुट कॉपी आउटपुट उदाहरण हैं ।
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कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस हैं—
मॉनीटर ( Monitors ) या वीडीयू ( VDU )
प्रिंटर ( Printer )
प्लॉटर ( Plotter )
स्पीकर ( Speaker )
कार्ड रीडर ( Card Reader )
टेप रीडर ( Tape Reader )
स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर ( Screen Image Projecto)
मॉनीटर ( Monitors ) या वीडीयू ( VDU )
प्रिंटर ( Printer )
प्लॉटर ( Plotter )
स्पीकर ( Speaker )
कार्ड रीडर ( Card Reader )
टेप रीडर ( Tape Reader )
स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर ( Screen Image Projecto)
डिस्प्ले किए गए रंग ( Colour ) के आधार पर मॉनीटर के तीन प्रकार हो सकते हैं ।
यह मॉनीटर दो रंग में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है । मॉनीटर के पृष्ठभूमि में एक रंग होता है जबकि सामने दिखने वाले ऑब्जेक्ट का रंग दूसरा होता है ।
: यह मोनोक्रोम मॉनीटर का ही एक रूप है जिसमें काले और सफेद ( Black and White ) रंगों के मिश्रण से कई शेड प्रदर्शित लिए जाते हैं ।
इसमें तीन मूल रंग- लाल , हरा और नीला का प्रयोग किया जाता है तथा इनके मिश्रण से अन्य रंग प्रदर्शित किए जाते हैं । इसे RGB ( Red . Green , Blue ) मॉनीटर भी कहा जाता है । यह 16 , 32 या 256 रंगों में डिस्पले प्रदर्शित करता है ।
तकनीक के आधार पर भी मॉनीटर को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है ।
( iv ) रेसघान्स टाइम ( Response Time ) : किसी पिक्सेल जिसे द्वारा एक रंग को बदलकर दूसरा रंग प्रदर्शित करने में लगा समय प्रयोग देसपास राइम कहलाता है । बेहतर मॉनीटर के लिए रेसपान्स टाइम पतरसा , कम होता है ।
रोचक तथ्य
कम्प्यूटर मॉनीटर का आकार मॉनीटर के विकर्ण ( Diagonal ) की लंबाई के आधार पर मापा जाता है । इसे सामान्यतः इंच ( Inch ) में व्यक्त किया जाता है । इस प्रकार , 12 इंच लंबे तथा 9 इंच चौड़े मॉनीटर का आकार 15 इंच होगा ।
प्रिंटर ( Printer ) प्रिंटर एक मशीन है जो कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित आउटपुट को कागज पर उतारता है । यह हार्डकॉपी ( Hard Copy ) या स्थायी पति ( Permanent Copy ) प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है । इसका प्रयोग टेक्स्ट ( text ) , रेखाचित्र ( graphics ) तथा चित्र ( im age ) का पेपर आउटपुट प्राप्त करने के लिए किया जाता है । प्रिंटर की गुणवत्ता उसके रिजोल्यूशन से जानी जाती है । यह एक वर्ग इंच में स्थित डॉट की संख्या बताता है जिसे DPI ( Dots per Inch ) कहते हैं । प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पैरोलेल पोर्ट से जोड़ा जाता है
प्रिंटर का वर्गीकरण प्रिंटर का वर्गीकरण ( Classification of Printer )
कैरेक्टर प्रिंटर ( Character Printer ) : यह एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है ।
लाइन प्रिंटर ( Line Printer ) : यह प्रिंटर एक बार में एक पूरी लाइन प्रिंट करता है ।
अतः इसकी प्रिंट करने की गति बहुत तेज ( 200 से 2000 लाइन प्रति मिनट ) होती है ।
पेज प्रिंटर ( Page Printer ) : यह प्रिंटर एक बार में एक पूरा पेज प्रिंट करता है ।
इम्पैक्ट प्रिंटर ( Impact Printer ) यह टाइपराइटर की तरह पेपर और इंक रिबन पर दबाव डालकर प्रिंट करता है । इम्पैक्ट प्रिंटर द्वारा केवल एक ही रंग का आउटपुट प्राप्त किया जा सकता है जो रिबन के रंग पर निर्भर करता है ।
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर ( Dot Matrix Printer ) : यह धीमी गति का इम्पैक्ट प्रिंटर है जो एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है । इसमें एक प्रिंट हेड ( Print Head ) होता है जो बायें से दायें तथा दायें से बायें घूमता है । इसके प्रिंट हेड में कुछ छोटे - छोटे हथौड़े होते हैं जो स्याही लगे रिबन पर प्रहार कर कैरेक्टर उभारते हैं । इस कारण , कार्बन की सहायता से एक बार में कई प्रतियाँ निकाली जा सकती हैं । डॉट की सहायता से ग्राफ और रेखाचित्र भी उकेरे जा सकते हैं । इनका प्रारंभिक मूल्य और प्रति कॉपी खर्च कम होता है परन्तु प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती ।
नान इम्पैक्ट प्रिंटर ( Non Impact Printer ) इसमें रिबन नहीं रहता तथा विद्युत या रासायनिक विधि से स्याही का छिड़काव कर प्रिंट प्राप्त किया जाता है । नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर द्वारा कार्बन कॉपी नहीं प्राप्त की जा सकती । नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर की गति तेज होती है तथा ये शोर भी कम करते हैं । इनसे काला तथा रंगीन दोनों प्रकार के आउटपुट प्राप्त किए जा सकते हैं । इनसे टेक्स्ट , रेखाचित्र या चित्र - किसी भी प्रकार का प्रिंट प्राप्त किया जा सकता है ।
थर्मल प्रिंटर ( Thermal Printer ) : यह नान इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है । इसमें रसायन युक्त विशेष कागज का प्रयोग किया जाता है जिस पर ताप के प्रभाव से आवश्यक आकृति प्राप्त की जाती है । इसमें प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है , पर खर्च अधिक आता है ।
इंक जेट प्रिंटर ( Inkjet Printer ) : यह नान इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है जिसमें स्याही की बॉटल ( Cartridge ) रखी जाती है । इसमें एक प्रिंट हेड होता है जिसमें 64 छोटे जेट नोजल हो सकते हैं । विद्युतीय क्षेत्र के प्रभाव द्वारा स्याही की बूंदों को कागज पर जेट की सहायता से छोड़ा जाता है जिससे मनचाहे कैरेक्टर और आकृतियाँ प्राप्त की जा सकती हैं । इसके प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है । इसका आरंभिक लागत कम है पर प्रति कॉपी खर्च अपेक्षाकृत अधिक है । घरों तथा ऑफिस में प्रयोग होने वाला प्रिंटर सामान्यतः इंकजेट प्रिंटर ही होता है । इसमें काले तथा रंगीन प्रिंट प्राप्त करने के लिए अलग अलग Ink Cartridge का प्रयोग किया जाता हैं
लेजर प्रिंटर ( Laser Printer ) : यह उच्च गति वाला नॉन इम्पैक्ट पेज प्रिंटर है ।
इसमें सेमीकंडक्टर लेजर बीग ( Laser beam ) , प्रकाशीय ड्रम ( Photo Conductive drum ) तथा आवेशित स्याही टोनर ( Charged Inktoner ) का प्रयोग किया जाता है । लेजर बीम से प्रकाशीय ड्रम पर आवश्यक विद्युतीय आकृति बनाई जाती है । तत्पश्चात् टोनर , जो ड्रम पर बनाई आकृति के विपरीत आवेशितः रहता है , स्याही को कागज पर चिपका देता है और वांछित आकृति प्राप्त कर ली जाती है । एक रबर ब्लेड की सहायता से ड्रम की सतह पर चिपके टोनर के कणों को साफ किया जाता है और ड्रम अगले प्रिंट के लिए तैयार होता है । यह किसी भी आकार के कैरेक्टर या चित्र का प्रिंट निकाल सकता है ।
प्रिंटर लेजर प्रिंटर की गुणवत्ता अच्छी होती है । यह एक खर्चीला उपकरण है , पर इसमें प्रति कापी खर्च कम पड़ता है । डेस्कटॉप पब्लिशिंग ( DTP ) में इसका प्रयोग आमतौर पर किया जाता है ।
क्या आप जानते हैं ?
→ रंगीन इन्कजेट तथा लेज़र प्रिंटर में दो स्याही की बॉटल ( Cartridge ) प्रयोग की जाती है- काला और रंगीन ।
→ रंगीन स्याही बॉटल में तीन मूल रंग- लाल , नीला और पीला ( Red , Blue and Yellow ) होता है जिनका सही मिश्रण कर आवश्यक रंग प्राप्त किया जाता है ।
प्लॉटर ( Plotter ) :— यह प्रिंटर की तरह हार्ड कॉपी देने वाला एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग बड़े कागज पर उच्च गुणवत्ता वाले रेखाचित्र व ग्राफ प्राप्त करने के लिए किया जाता है । इसका उपयोग मुख्यतः इंजीनियरिंग , वास्तुविद , भवन निर्माण , सिटी प्लानिंग , मानचित्रबनाने , कैड ( Computer Aided Design ) , कैम ( Computer Aided Manufacturing ) आदि में किया जाता है ।
प्लॉटर के दो मुख्य प्रकार उपलब्ध हैं
1. ड्रम प्लॉटर ( Drum Plotter )
2. समतल प्लॉटर ( Flatbed Plotter )
स्पीकर ( Speaker ) यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ किया जाता है जो ध्वनि के रूप में आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत करता है । इसके लिए सिस्टम यूनिट में साउण्ड कार्ड ( Sound Card ) का होना जरूरी है । स्पीकर साउण्ड कार्ड से प्राप्त विद्युत तरंगों को ध्वनि तरंगों में बदलता है । कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के भीतर एक छोटा स्पीकर होता है जिसे बिल्ट इन स्पीकर ( Built - in speaker ) कहते हैं । मल्टीमीडिया के लिए बाहर से जोड़े गए स्पीकर को External Speaker या Multimedia Speaker कहते हैं । इसमें एक एम्प्लीफायर तथा आवाज घटाने बढ़ाने के लिए Volume Control Knob होता है । स्पीकर को 3.5mm स्टीरियो फोन कनेक्टर द्वारा साउण्ड कार्ड से जोड़ा जाता है । स्टीरियो साउण्ड प्राप्त करेन के लिए एक समान के दो स्पीकर का प्रयोग किया जाता है ।
हेडफोन ( Headphone ) हेडफोन स्पीकर के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले दो छोटे स्पीकर
हैं , जिन्हें कान के काफी पास लगाकर रखा जाता है । अतः इन्हें इयरफोन ( Earphone ) भी कहा जाता है । इसका प्रयोग एक व्यक्ति के लिए ध्वनि आउटपुट प्राप्त करने में किया जाता है । आजकल हेडफोन तथा माइक दोनों एक ही एक उपकरण में बने होते हैं जिसका उपयोग आउटपुट तथा इनपुट डिवाइस दोनों के रूप में होता है ।
स्क्रीन प्रोजेक्टर ( Screen Projector ) यह एक सॉफ्ट कॉपी देने वाला आउटपुट डिवाइस है । यह कम्प्यूटर स्क्रीन पर होने वाली घटनाओं और चित्रों तथा सूचना को बड़े पर्दे पर दिखाता है ताकि इसे लोगों के समूह द्वारा देखा जा सके । इसका उपयोग मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन ( Multimedia Presenta tion ) के लिए किया जाता है जिसमें आवाज , चित्र , चलचित्र तथा एनिमेशन का प्रयोग होता है । इसका प्रयोग ट्रेनिंग , मीटिंग , कान्फरेंस आदि के दौरान या
मानोरंजन के लिए एक बढे समूह को कंप्यूटर आउटपुट प्रद्रसित करने के लिए किया जाता है।
आवाज प्रतिक्रिया ( Violee Respone System ) इसकी सहायता से उपयोगकर्ता कम्यूटर के साथ बातचीत कर सकता है ।
यह दो प्रकार का होता है
( 1 ) आवाज पुनत्यादन ( Vice Reproduction ) :
इसमें पहले से रिकार्ड किये गये आवाज को डिजिटल डाटा में बदलकर कम्प्यूटर मेमोरी में स्टोर किया जाता है । आवश्यकतानुसार , इनमें से उपयुक्त आउटपुट का चयन कर उसे साउण्ड कार्ड तथा स्पीकर द्वारा ध्वनि आउटपुट पैदा किया जाता है ।
( ii ) स्पीच सिन्थेसाइजर ( Speech Synthesizer ) : इसकी सहायता से लिखित सूचना को आवाज में बदला जाता है तथा विभिन्न भाषाओं का अनुवाद भी किया जा सकता है । Voice Response System के लिए माइक्रोफोन , स्पीकर या हेडफोन , साउण्ड कार्ड तथा संबंधित साफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है । इसका बेहतरीन उपयोग दृष्टिबाधितों तक सूचना पहुंचाने में किया जा रहा है । वीडियो गेम , अलार्म घड़ी , खिलौने , घरेलू उपकरण आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
वीडियो / विजुअल डिस्प्ले टर्मिनल ( Video / Visual Display Terminal ) मॉनीटर एक सर्वाधिक प्रचलित आउटपुट डिवाइस है जबकि की - बोर्ड एक मुख्य इनपुट डिवाइस है । की - बोर्ड द्वारा टाइप किया जाने वाला डाटा या निर्देश मॉनीटर पर प्रदर्शित होता है । मॉनीटर तथा की - बोर्ड को एक साथ Visual Display Terminal ( VDT ) कहा जाता है ।
Terminal वह डिवाइस है जिसके द्वारा हम कम्प्यूटर में डाटा व निर्देश डालने और कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणामों को प्रदर्शित करने का काम करते हैं । नेटवर्क में टर्मिनल वह स्थान है जहां संचार माध्यम का अंत हो जाता है ।
कम्प्यूटर टर्मिनल तीन प्रकार के होते हैं
( i ) डंब टर्मिनल ( Dumb Terminal ) : ऐसे टर्मिनल की स्वयं की प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता नहीं होती है ।
यह प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज के लिए मुख्य कम्प्यूटर पर निर्भर रहता है ।
( ii ) स्मार्ट टर्मिनल ( Smart Terminal ) : ऐसे टर्मिनल में सीमित अर्थों में स्वयं की प्रोसेसिंग क्षमता होती है , पर कोई स्टोरेज क्षमता नहीं होती । :
( iii ) इंटेलिजेंट टर्मिनल ( Intelligent Terminal ) : ऐसे टर्मिनल में स्वयं की प्रोसेसिंग क्षमता ( सीपीयू ) तथा स्टोरेज क्षमता ( मेमोरी ) दोनों होती है ।
इनपुट / आउटपुट पोर्ट ( Input / Output Port ) कम्प्यूटर को इनपुट / आउटपुट तथा अन्य पेरीफेरल डिवाइसेस के साथ जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर स्थान बने होते हैं जिन्हें इनपुट ।
आउटपुट पोर्ट कहा जाता है ।
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नान इम्पैक्ट प्रिंटर ( Non Impact Printer ) इसमें रिबन नहीं रहता तथा विद्युत या रासायनिक विधि से स्याही का छिड़काव कर प्रिंट प्राप्त किया जाता है । नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर द्वारा कार्बन कॉपी नहीं प्राप्त की जा सकती । नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर की गति तेज होती है तथा ये शोर भी कम करते हैं । इनसे काला तथा रंगीन दोनों प्रकार के आउटपुट प्राप्त किए जा सकते हैं । इनसे टेक्स्ट , रेखाचित्र या चित्र - किसी भी प्रकार का प्रिंट प्राप्त किया जा सकता है ।
थर्मल प्रिंटर ( Thermal Printer ) : यह नान इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है । इसमें रसायन युक्त विशेष कागज का प्रयोग किया जाता है जिस पर ताप के प्रभाव से आवश्यक आकृति प्राप्त की जाती है । इसमें प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है , पर खर्च अधिक आता है ।
इंक जेट प्रिंटर ( Inkjet Printer ) : यह नान इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है जिसमें स्याही की बॉटल ( Cartridge ) रखी जाती है । इसमें एक प्रिंट हेड होता है जिसमें 64 छोटे जेट नोजल हो सकते हैं । विद्युतीय क्षेत्र के प्रभाव द्वारा स्याही की बूंदों को कागज पर जेट की सहायता से छोड़ा जाता है जिससे मनचाहे कैरेक्टर और आकृतियाँ प्राप्त की जा सकती हैं । इसके प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है । इसका आरंभिक लागत कम है पर प्रति कॉपी खर्च अपेक्षाकृत अधिक है । घरों तथा ऑफिस में प्रयोग होने वाला प्रिंटर सामान्यतः इंकजेट प्रिंटर ही होता है । इसमें काले तथा रंगीन प्रिंट प्राप्त करने के लिए अलग अलग Ink Cartridge का प्रयोग किया जाता हैं
लेजर प्रिंटर ( Laser Printer ) : यह उच्च गति वाला नॉन इम्पैक्ट पेज प्रिंटर है ।
इसमें सेमीकंडक्टर लेजर बीग ( Laser beam ) , प्रकाशीय ड्रम ( Photo Conductive drum ) तथा आवेशित स्याही टोनर ( Charged Inktoner ) का प्रयोग किया जाता है । लेजर बीम से प्रकाशीय ड्रम पर आवश्यक विद्युतीय आकृति बनाई जाती है । तत्पश्चात् टोनर , जो ड्रम पर बनाई आकृति के विपरीत आवेशितः रहता है , स्याही को कागज पर चिपका देता है और वांछित आकृति प्राप्त कर ली जाती है । एक रबर ब्लेड की सहायता से ड्रम की सतह पर चिपके टोनर के कणों को साफ किया जाता है और ड्रम अगले प्रिंट के लिए तैयार होता है । यह किसी भी आकार के कैरेक्टर या चित्र का प्रिंट निकाल सकता है ।
प्रिंटर लेजर प्रिंटर की गुणवत्ता अच्छी होती है । यह एक खर्चीला उपकरण है , पर इसमें प्रति कापी खर्च कम पड़ता है । डेस्कटॉप पब्लिशिंग ( DTP ) में इसका प्रयोग आमतौर पर किया जाता है ।
क्या आप जानते हैं ?
→ रंगीन इन्कजेट तथा लेज़र प्रिंटर में दो स्याही की बॉटल ( Cartridge ) प्रयोग की जाती है- काला और रंगीन ।
→ रंगीन स्याही बॉटल में तीन मूल रंग- लाल , नीला और पीला ( Red , Blue and Yellow ) होता है जिनका सही मिश्रण कर आवश्यक रंग प्राप्त किया जाता है ।
प्लॉटर ( Plotter ) :— यह प्रिंटर की तरह हार्ड कॉपी देने वाला एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग बड़े कागज पर उच्च गुणवत्ता वाले रेखाचित्र व ग्राफ प्राप्त करने के लिए किया जाता है । इसका उपयोग मुख्यतः इंजीनियरिंग , वास्तुविद , भवन निर्माण , सिटी प्लानिंग , मानचित्रबनाने , कैड ( Computer Aided Design ) , कैम ( Computer Aided Manufacturing ) आदि में किया जाता है ।
प्लॉटर के दो मुख्य प्रकार उपलब्ध हैं
1. ड्रम प्लॉटर ( Drum Plotter )
2. समतल प्लॉटर ( Flatbed Plotter )
स्पीकर ( Speaker ) यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ किया जाता है जो ध्वनि के रूप में आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत करता है । इसके लिए सिस्टम यूनिट में साउण्ड कार्ड ( Sound Card ) का होना जरूरी है । स्पीकर साउण्ड कार्ड से प्राप्त विद्युत तरंगों को ध्वनि तरंगों में बदलता है । कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के भीतर एक छोटा स्पीकर होता है जिसे बिल्ट इन स्पीकर ( Built - in speaker ) कहते हैं । मल्टीमीडिया के लिए बाहर से जोड़े गए स्पीकर को External Speaker या Multimedia Speaker कहते हैं । इसमें एक एम्प्लीफायर तथा आवाज घटाने बढ़ाने के लिए Volume Control Knob होता है । स्पीकर को 3.5mm स्टीरियो फोन कनेक्टर द्वारा साउण्ड कार्ड से जोड़ा जाता है । स्टीरियो साउण्ड प्राप्त करेन के लिए एक समान के दो स्पीकर का प्रयोग किया जाता है ।
हेडफोन ( Headphone ) हेडफोन स्पीकर के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले दो छोटे स्पीकर
हैं , जिन्हें कान के काफी पास लगाकर रखा जाता है । अतः इन्हें इयरफोन ( Earphone ) भी कहा जाता है । इसका प्रयोग एक व्यक्ति के लिए ध्वनि आउटपुट प्राप्त करने में किया जाता है । आजकल हेडफोन तथा माइक दोनों एक ही एक उपकरण में बने होते हैं जिसका उपयोग आउटपुट तथा इनपुट डिवाइस दोनों के रूप में होता है ।
स्क्रीन प्रोजेक्टर ( Screen Projector ) यह एक सॉफ्ट कॉपी देने वाला आउटपुट डिवाइस है । यह कम्प्यूटर स्क्रीन पर होने वाली घटनाओं और चित्रों तथा सूचना को बड़े पर्दे पर दिखाता है ताकि इसे लोगों के समूह द्वारा देखा जा सके । इसका उपयोग मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन ( Multimedia Presenta tion ) के लिए किया जाता है जिसमें आवाज , चित्र , चलचित्र तथा एनिमेशन का प्रयोग होता है । इसका प्रयोग ट्रेनिंग , मीटिंग , कान्फरेंस आदि के दौरान या
मानोरंजन के लिए एक बढे समूह को कंप्यूटर आउटपुट प्रद्रसित करने के लिए किया जाता है।
आवाज प्रतिक्रिया ( Violee Respone System ) इसकी सहायता से उपयोगकर्ता कम्यूटर के साथ बातचीत कर सकता है ।
यह दो प्रकार का होता है
( 1 ) आवाज पुनत्यादन ( Vice Reproduction ) :
इसमें पहले से रिकार्ड किये गये आवाज को डिजिटल डाटा में बदलकर कम्प्यूटर मेमोरी में स्टोर किया जाता है । आवश्यकतानुसार , इनमें से उपयुक्त आउटपुट का चयन कर उसे साउण्ड कार्ड तथा स्पीकर द्वारा ध्वनि आउटपुट पैदा किया जाता है ।
( ii ) स्पीच सिन्थेसाइजर ( Speech Synthesizer ) : इसकी सहायता से लिखित सूचना को आवाज में बदला जाता है तथा विभिन्न भाषाओं का अनुवाद भी किया जा सकता है । Voice Response System के लिए माइक्रोफोन , स्पीकर या हेडफोन , साउण्ड कार्ड तथा संबंधित साफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है । इसका बेहतरीन उपयोग दृष्टिबाधितों तक सूचना पहुंचाने में किया जा रहा है । वीडियो गेम , अलार्म घड़ी , खिलौने , घरेलू उपकरण आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
वीडियो / विजुअल डिस्प्ले टर्मिनल ( Video / Visual Display Terminal ) मॉनीटर एक सर्वाधिक प्रचलित आउटपुट डिवाइस है जबकि की - बोर्ड एक मुख्य इनपुट डिवाइस है । की - बोर्ड द्वारा टाइप किया जाने वाला डाटा या निर्देश मॉनीटर पर प्रदर्शित होता है । मॉनीटर तथा की - बोर्ड को एक साथ Visual Display Terminal ( VDT ) कहा जाता है ।
Terminal वह डिवाइस है जिसके द्वारा हम कम्प्यूटर में डाटा व निर्देश डालने और कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणामों को प्रदर्शित करने का काम करते हैं । नेटवर्क में टर्मिनल वह स्थान है जहां संचार माध्यम का अंत हो जाता है ।
कम्प्यूटर टर्मिनल तीन प्रकार के होते हैं
( i ) डंब टर्मिनल ( Dumb Terminal ) : ऐसे टर्मिनल की स्वयं की प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता नहीं होती है ।
यह प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज के लिए मुख्य कम्प्यूटर पर निर्भर रहता है ।
( ii ) स्मार्ट टर्मिनल ( Smart Terminal ) : ऐसे टर्मिनल में सीमित अर्थों में स्वयं की प्रोसेसिंग क्षमता होती है , पर कोई स्टोरेज क्षमता नहीं होती । :
( iii ) इंटेलिजेंट टर्मिनल ( Intelligent Terminal ) : ऐसे टर्मिनल में स्वयं की प्रोसेसिंग क्षमता ( सीपीयू ) तथा स्टोरेज क्षमता ( मेमोरी ) दोनों होती है ।
इनपुट / आउटपुट पोर्ट ( Input / Output Port ) कम्प्यूटर को इनपुट / आउटपुट तथा अन्य पेरीफेरल डिवाइसेस के साथ जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर स्थान बने होते हैं जिन्हें इनपुट ।
आउटपुट पोर्ट कहा जाता है ।
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